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प्रदेश के 20 जिलों में अब गेहूं के स्थान पर चावल बांटा जा रहा, जनता परेशान 

प्रदेश के 20 जिलों में अब गेहूं के स्थान पर चावल बांटा जा रहा है. यूक्रेन युद्ध के कारण इस साल प्रदेश से 1 करोड़ 55 लाख टन गेहूं निर्यात किया गया. इस निर्यात के कारण अब प्रदेश में गेहूं की  कमी हो गई है.

Updated on: 15 Sep 2022, 03:50 PM

नई दिल्ली:

प्रदेश के 20 जिलों में अब गेहूं के स्थान पर चावल बांटा जा रहा है. यूक्रेन युद्ध के कारण इस साल प्रदेश से 1 करोड़ 55 लाख टन गेहूं निर्यात किया गया. इस निर्यात के कारण अब प्रदेश में गेहूं की  कमी हो गई है. प्रदेश में चावल के स्थान पर रोटी खाने वालों की संख्या कहीं अधिक है. गेहूं की कमी के कारण कई जिलों में वितरण की कमी होने के कारण अब लोगों को चावल खाना पड़ रहा है. कई लोग अब पीडीएस दुकानों से मिलने वाले चावल केा बेचकर गेहूं खरीद रहे हैं जिससे वे रोटी खा सकें.

इस साल केवल 46 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई. गेहूं की कमी के कारण भोपाल, बैतूल, छिंदवाड़ा, जबलपुर, कटनी, नर्मदापुरम, नरसिंहपुर, पन्ना, रायसेन, रीवा, सतना, सिवनी, सीधी, सिंगरौली, अनूपपुर, बालाघाट, डिंडोरी, मंडला, शहडोल और उमरिया में चावल बांटा जा रहा है. पिछले साल से 8 गुना अधिक गेहूं इस साल प्रदेश से निर्यात किया गया है. केन्द्र सरकार से चावल का ही अधिक आवंटन किया जा रहा है

विभागीय मंत्री का कहना है कि व्यवस्थाएं ठीक हैं. जहां दिक्कत होगी, उसमें सुधार किया जाएगा. कांग्रेस का कहना है कि सरकार की गलतियों से जनता परेशान हो रही है. एमपी उन राज्यों में है जहां बहुतायत लोग गेहूं की रोटी खाना पसंद करते हैं. चावल मिलने से लोगों केा खाने की समस्या हो रही है. लोग इसका रास्ता निकाल रहे हैं लेकिन गेहूं निर्यात करने में सरकार का उत्साह अब लोगों को भारी पड़ रहा है.