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Raksha Bandhan 2023: भस्म आरती के बाद भगवान महाकाल को सबसे पहले बांधी गई राखी, सवा लाख लड्डुओं का लगा भोग

Raksha Bandhan 2023: आज रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है. बुधवार को उज्जैन में बाबा महाकाल के दरबार में भस्म आरती के बाद सबसे पहले बाबा महाकाल को राखी बांधी गई. इसके साथ ही बाबा को सवा लाख लड्डुओं का महाभोग भी लगाया गया.

Updated on: 30 Aug 2023, 11:10 AM

highlights

  • बाबा महाकाल को सबसे पहले बांधी गई राखी
  • महाकाल मंदिर में सवा लाख लड्डुओं का लगा भोग
  • भगवान महाकाल के दरबार में लगा भक्तों का तांता

New Delhi:

Raksha Bandhan 2023: उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में हर साल  रक्षाबंधन के मौके पर अनूठी परंपरा निभाई जाती है. इस साल भी इस परंपरा के साथ बाबा महाकाल के दरबार में रक्षाबंधन मनाया गया. महाकालेश्वर मंदिर में सबसे पहले बाबा महाकाल को राखी बांधी गई और सवा लाख लड्डुओं का महाभोग लगाया गया. पंडित और पुरोहित परिवार ने भगवान महाकाल को राखी बांधकर विश्व शांति और कल्याण की कामना की. भगवान महाकाल को बिना किसी मुहूर्त के सबसे पहले राखी बांधी गई. इसके बाद देशभर में रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा. विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकाल के दरबार में पूरे सावन के माह में धूमधाम रहती है. इस महीने सावन महोत्सव मनाया जाता है. रक्षाबंधन के दिन इसका समापन होता है.

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भद्रा काल शुरू होने से पहले बांधी भगवान महाकाल को राखी

बुधवार तड़के तीन बजे से भद्रा काल शुरू होने से पहले बाबा के दरबार के कपाट खोले गए. उसके बाद भस्म आरती की गई इस दौरान सबसे पहले पुजारी परिवार की महिलाओं ने भगवान महाकाल को राखी बांधी. इसके बाद भगवान महाकाल को सवा लाख लड्डुओं का भोग लगाया गया और आरती की गई. आरती के बाद महाप्रसादी का वितरण शुरू किया गया. जो दिनभर चलेगा. पुजारियों के मुताबिक, महाकाल ज्योतिर्लिंग की पूजन परंपरा में श्रावणी पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है. इस दिन पुण्य पवित्र श्रावण मास का समापन हो जाता है.

रक्षाबंधन के दिन खोला जाता है सावण का उपवास

पंडितों का कहना है कि भोलेनाथ के जो भक्त सावन के पूरे महीने में उपवास रखते हैं, वे रक्षाबंधन के दिन भगवान महाकाल का लड्डू प्रसाद ग्रहण करने के बाद उपवास खोलते हैं. इसीलिए रक्षाबंधन के पूरे दिन बाबा के भक्तों को पूरे दिन महाप्रसादी का वितरण होता है. परंपरा के मुताबिक, सवा लाख लड्डुओं का भोग भस्म आरती करने वाला पुजारी परिवार लगाता है.

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