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कोरोना से इंदौर के कब्रिस्तानों में जनाजों की तादात बढ़ने पर उठे सवाल

मध्य प्रदेश के इंदौर में कोरोना वायरस के प्रकोप से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों के आस-पास के कुछ कब्रिस्तानों में आम दिनों के मुकाबले जनाजों की संख्या कथित तौर पर बढ़ने को लेकर सवाल उठ रहे हैं.

Updated on: 10 Apr 2020, 06:12 PM

इंदौर:

मध्य प्रदेश के इंदौर में कोरोना वायरस के प्रकोप से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों के आस-पास के कुछ कब्रिस्तानों में आम दिनों के मुकाबले जनाजों की संख्या कथित तौर पर बढ़ने को लेकर सवाल उठ रहे हैं. मीडिया खबरें सामने आने के बाद प्रशासन का कहना है कि इस रुझान को सीधे कोविड-19 से तुरंत जोड़ दिया जाना उचित नहीं होगा, जबकि शहर काजी ने मामले की जांच के जरिये वस्तुस्थिति स्पष्ट करने की मांग की है. शहर के कुछ कब्रिस्तानों में जनाजों की तादाद बढ़ने की मीडिया खबरों के बारे में पूछे जाने पर जिलाधिकारी मनीष सिंह ने कहा कि यह बात सही है कि (शहर के चंद कब्रिस्तानों में जनाजों की) संख्या कुछ हद तक बढ़ी है.

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लेकिन इन मौतों के वास्तविक कारण विस्तृत मेडिकल जांच के बाद ही पता चल सकेंगे. सिंह ने हालांकि कहा कि हमारी जनाजों से जुड़े कुछ मृतकों के परिवारवालों, शहर काजी, मौलवियों और क्षेत्रीय जन प्रतिनिधियों से बात हुई है. इस बातचीत के मुताबिक मौत से पहले इन लोगों में सर्दी, खांसी और छींक सरीखे वे लक्षण नहीं थे जो आमतौर पर कोरोना वायरस के मरीजों में पाये जाते हैं. उन्होंने बताया कि खजराना, चंदन नगर और हाथीपाला जैसे इलाकों में कोरोना वायरस का संक्रमण शहर के अन्य क्षेत्रों के मुकाबले काफी पहले फैल गया था. इन इलाकों को सील करते हुए वहां आम लोगों की आवाजाही पर पहले ही सख्त रोक लगा दी गयी है ताकि इसका संक्रमण आगे न फैल सके.

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इन इलाकों में स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने विशेष अभियान छेड़ रखा है. हिन्दी अखबार "दैनिक भास्कर" के इंदौर संस्करण में सात अप्रैल को प्रकाशित खबर में दावा किया गया है कि कोरोना वायरस संक्रमण से प्रभावित स्थानीय इलाकों के पास के महू नाका, लुनियापुरा, खजराना और सिरपुर इलाकों के चार कब्रिस्तानों में एक से छह अप्रैल के बीच यानी केवल छह दिनों में कुल 127 जनाजे पहुंचे थे, जबकि पूरे मार्च यानी 31 दिनों के दौरान इन चारों कब्रिस्तानों में कुल 130 जनाजे पहुंचे थे. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 17 दिन में इंदौर में कोरोना वायरस संक्रमण के मरीजों की तादाद बढ़कर 235 पर पहुंच गयी है. इनमें से 26 लोग इलाज के दौरान दम तोड़ चुके हैं.

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आंकड़ों के तुलनात्मक विश्लेषण से पता चलता है कि 30 लाख से ज्यादा की आबादी वाले इस शहर में कोविड-19 के मरीजों की मृत्यु दर राष्ट्रीय स्तर से कहीं ज्यादा बनी हुई है. इस ऊंची मृत्यु दर के बारे में पूछे जाने पर जिलाधिकारी ने कहा, "यह स्थिति केवल इसलिये है क्योंकि कोरोना वायरस के मरीज इस महामारी के लक्षणों के बारे में हमें देर से जानकारी दे रहे हैं. हम शहर के सभी लोगों से लगातार अपील कर रहे हैं कि वे हमारी टीमों का पूरा सहयोग करें और इस महामारी के लक्षणों के बारे में हमें जल्दी से जल्दी बतायें ताकि उनका इलाज वक्त पर शुरू किया जा सके." इस बीच, शहर काजी मोहम्मद इशरत अली ने कहा कि प्रशासन को कर्फ्यू से पहले की स्थिति और मौजूदा हालात की तुलना करते हुए पता लगाना चाहिये कि कब्रिस्तानों में जनाजों की तादाद में क्या बदलाव हुआ है और मृतकों की मौत की क्या वजह थी?

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मामले की जांच के बाद पूरी तस्वीर साफ हो जायेगी." उन्होंने बताया, "हम शहर की करीब 200 मस्जिदों से लाउडस्पीकर के जरिये लगातार एलान कर रहे हैं कि कोविड-19 से बचाव के तमाम उपाय अपनाये जाएं और इस बीमारी की रोकथाम में जुटे सरकारी अमले को पूरी मदद दी जाये." शहर काजी ने बताया कि उन्हें हाल के दिनों में ऐसी शिकायतें भी मिल रही हैं कि हृदय और पेट की गंभीर बीमारियों से पीड़ित कुछ मरीजों को निजी अस्पतालों ने उल्टे पांव लौटा दिया और वक्त पर इलाज नहीं मिलने के कारण उनकी कथित तौर पर मौत हो गयी. कोरोना वायरस के मरीज मिलने के बाद से प्रशासन ने 25 मार्च से शहरी सीमा में कर्फ्यू लगा रखा है.