MP: PM मोदी ने याद किया आदिवासियों का बलिदान, जानें भाषण की 10 बड़ी बातें
मध्य प्रदेश की बात करें तो राज्य में दो करोड़ से अधिक आदिवासी और अन्य जनजाति के लोग रहते हैं. आकंड़ों के मुताबिक मध्यप्रदेश की 47 विधानसभा सीट भी आदिवासियों के लिए आरक्षित रखी गई है
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमर शहीद बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर आयोजित गौरव दिवस समारोह ( Janjatiya Gaurav Diwas Mahasammelan ) में भाग लिया. दरअसल, भारतीय जनता पार्टी की नजर आदिवासियों को साधने पर है. मध्य प्रदेश की बात करें तो राज्य में दो करोड़ से अधिक आदिवासी और अन्य जनजाति के लोग रहते हैं. आकंड़ों के मुताबिक मध्यप्रदेश की 47 विधानसभा सीट भी आदिवासियों के लिए आरक्षित रखी गई है. क्योंकि मध्य प्रदेश में 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं, यही वजह है कि बीजेपी ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है. गौरव दिवस समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने 10 बड़ी बातें कहीं...
जनजातीय समाज का राष्ट्रनिर्माण में योगदान
आज भारत, अपना पहला जनजातीय गौरव दिवस मना रहा है। आज़ादी के बाद देश में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर, पूरे देश के जनजातीय समाज की कला-संस्कृति, स्वतंत्रता आंदोलन और राष्ट्रनिर्माण में उनके योगदान को गौरव के साथ याद किया जा रहा है, उन्हें सम्मान दिया जा रहा है.
गोंड महारानी वीर दुर्गावती का शौर्य
गोंड महारानी वीर दुर्गावती का शौर्य हो या फिर रानी कमलापति का बलिदान, देश इन्हें भूल नहीं सकता। वीर महाराणा प्रताप के संघर्ष की कल्पना उन बहादुर भीलों के बिना नहीं की जा सकती जिन्होंने कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ी और बलिदान दिया.
आजादी की लड़ाई में जनजातीय लोगों का योगदान
आजादी की लड़ाई में जनजातीय नायक-नायिकाओं की वीर गाथाओं को देश के सामने लाना, उसे नई पीढ़ी से परिचित कराना, हमारा कर्तव्य है। गुलामी के कालखंड में विदेशी शासन के खिलाफ खासी-गारो आंदोलन, मिजो आंदोलन, कोल आंदोलन समेत कई संग्राम हुए.
बाबासाहेब पुरंदरे को किया याद
छत्रपति शिवाजी महाराज के जिन आदर्शों को बाबासाहेब पुरंदरे जी ने देश के सामने रखा, वो आदर्श हमें निरंतर प्रेरणा देते रहेंगे। मैं बाबासाहेब पुरंदरे जी को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि देता. ‘पद्म विभूषण’ बाबासाहेब पुरंदरे जी ने छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन को, उनके इतिहास को सामान्य जन तक पहुंचाने में जो योगदान दिया है, वो अमूल्य है। यहां की सरकार ने उन्हें कालिदास पुरस्कार भी दिया था.
स्वार्थ भरी राजनीति को ही प्राथमिकता पर चोट
इसकी वजह ये है कि जनजातीय समाज के योगदान के बारे में या तो देश को बताया ही नहीं गया और अगर बताया भी गया तो बहुत ही सीमित दायरे में जानकारी दी गई। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि आज़ादी के बाद दशकों तक जिन्होंने देश में सरकार चलाई, उन्होंने अपनी स्वार्थ भरी राजनीति को ही प्राथमिकता दी.
भारतीय संस्कृति को मजबूत बनाया
आज जब हम राष्ट्रीय मंचों से, राष्ट्र निर्माण में जनजातीय समाज के योगदान की चर्चा करते हैं, तो कुछ लोगों को हैरानी होती है। ऐसे लोगों को विश्वास ही नहीं होता कि जनजातीय समाज का भारत की संस्कृति को मजबूत करने में कितना बड़ा योगदान रहा है.
शौचालय और मुफ्त बिजली का जिक्र
आज चाहे गरीबों के घर हों, शौचालय हों, मुफ्त बिजली और गैस कनेक्शन हों,स्कूल हो, सड़क हो, मुफ्त इलाज हो, ये सबकुछ जिस गति से देश के बाकी हिस्से में हो रहा है, उसी गति से आदिवासी क्षेत्रों में भी हो रहा है.
पहली सरकारों पर हमला
देश का जनजातीय क्षेत्र, संसाधनों के रूप में, संपदा के मामले में हमेशा समृद्ध रहा है। लेकिन जो पहले सरकार में रहे, वो इन क्षेत्रों के दोहन की नीति पर चले। हम इन क्षेत्रों के सामर्थ्य के सही इस्तेमाल की नीति पर चल रहे हैं.
वैक्सीनेशन में आदिवासी समाज का बड़ा योगदान
पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना वैक्सीनेशन में आदिवासी समाज का बड़ा योगदान है. आदिवासी समाज ने कोरोनाकाल में बड़ी संख्या में टीकाकरण में भाग लिया. उन्होंने कहा कि जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही थी तो जनजातीय समाज टीकाकरण के लिए आगे आया था.
आदिवासी देश के असली हीरे
अभी हाल में पद्म पुरस्कार दिए गए हैं। जनजातीय समाज से आने वाले साथी जब राष्ट्रपति भवन पहुंचे तो दुनिया हैरान रह गई। आदिवासी और ग्रामीण समाज में काम करने वाले ये देश के असली हीरे हैं.
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