चपरासी ने रची साजिश, पांच सौ करोड़ की सरकारी जमीन का कराया फर्जी पट्टा

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राजधानी के पॉश इलाके एमपी नगर की जमीन को जिलाधिकारी कार्यालय में पदस्थ चपरासी बाबूलाल जो अब सेवानिवृत्त हो चुका है, उसने फर्जी तरीके से झुग्गी में रहने वाले महिला के नाम पर पट्टा करा दिया.

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राजधानी के पॉश इलाके एमपी नगर की जमीन को जिलाधिकारी कार्यालय में पदस्थ चपरासी बाबूलाल जो अब सेवानिवृत्त हो चुका है, उसने फर्जी तरीके से झुग्गी में रहने वाले महिला के नाम पर पट्टा करा दिया.

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yogesh bhadauriya
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सांकेतिक चित्र

प्रतीकात्मक तस्वीर( Photo Credit : News State)

मध्यप्रदेश की राजधानी में एक चपरासी ने साजिश रचकर लगभग पांच सौ करोड़ की सरकारी जमीन का फर्जी पट्टा कर दिया. इस मामले में न्यायालय ने सेवानिवृत्त चपरासी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राजधानी के पॉश इलाके एमपी नगर की जमीन को जिलाधिकारी कार्यालय में पदस्थ चपरासी बाबूलाल जो अब सेवानिवृत्त हो चुका है, उसने फर्जी तरीके से झुग्गी में रहने वाले महिला के नाम पर पट्टा करा दिया. इस मामले की ईओडब्ल्यू ने जांच की और यह मामला विशेष न्यायाधीश संजीव पांडेय की अदालत में पहुंचा.

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सूत्रों के अनुसार, शनिवार को न्यायाधीश ने बाबूलाल को उम्रकैद की सजा सुनाई, वहीं अन्य साथियों को, जिनमें अधिवक्ता व महिला कर्मचारी व झुग्गी में रहने वाले भी शामिल हैं, उनको सजा सुनाई. आरोपियों पर एक-एक लाख का जुर्माना भी लगाया गया है. इस मामले के 11 आरोपियों में से 10 को सजा सुनाई गई है.

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ईओडब्ल्यू के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बाबूलाल जिलाधिकारी कार्यालय में पदस्थ था. उसने 2003 से 2007 के बीच अन्य आरोपितों के साथ मिलकर एमपी नगर जोन-एक में गायत्री मंदिर के पास स्थित सरकारी जमीन को फर्जी तरीके से पट्टे पर झुग्गी सावित्री बाई के नाम पर कर दी थी. इसके बाद जमीन का कुछ हिस्सा जहांगीराबाद में रहने वाली माया बिसारिया, अल्पना बिसारिया, अमिता बिसारिया और प्रीति बिसारिया के नाम पर कर दिया था.

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बताया गया है कि इस मामले की ईओडब्ल्यू ने जांच कर वर्ष 2008 में न्यायालय में चालान पेश किया था. उसी मामले की सुनवाई करते हुए शनिवार को विशेष न्यायाधीश ने सजा सुनाई. बताया गया है कि सरकारी दस्तावेजों में यह जमीन म्युनिसिपल बोर्ड के नाम पर दर्ज थी, लेकिन चपरासी बाबूलाल ने इसे फर्जी तरीके से मेंगूलाल के नाम पर दर्ज कर दिया था. मेंगूलाल को सावित्री बाई ने अपना दादा बताते हुए उनकी फर्जी वसीयत पेश कर दी थी. इसके बाद से सावित्री बाई इसी जमीन पर काबिज हो गई थी. इसी तरह से बिसारिया परिवार के नाम पर भी यह जमीन दर्ज की गई थी.

Source : News State

bhopal
      
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