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पंचायत चुनाव : MP में 2.5 लाख से ज्यादा पंचों के लिए नहीं आया 1 भी आवेदन, चौंकाने वाली है वजह

भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का सौभाग्य प्राप्त है. देश-विदेश में इस बात का खूब ढिंढोरा भी खूब पीटा जाता है.

Updated on: 07 Jun 2022, 03:11 PM

highlights

  • मुंशी का पंच परमेश्वर नहीं बनना चाहते एमपी के ग्रामीण नेता
  • मध्य प्रदेश के पंचायतों में 2.5 लाख से अधिक पद रहेंगे खाली
  • MP में 3.63 लाख में से 95695 पदों के लिए ही आए नामांकन 

नई दिल्ली:

भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का सौभाग्य प्राप्त है. देश-विदेश में इस बात का खूब ढिंढोरा भी खूब पीटा जाता है. लेकिन देश में लोकतंत्र का जड़ों को मजबूत करने के लिए होने वाले स्थानीय चुनाव में से एक मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव में लोगों ने पंचों के पद को सिरे से खारिज कर दिया है. मुंशी प्रेमचंद ने भले ही पंच परमेश्वर की महिमा बतायी है, लेकिन मध्यप्रदेश में गांवों के लोगों की पंच बनने में कोई रुचि नहीं है. प्रदेश के इतिहास में पहली बार पंचायतों में 2.5 लाख से अधिक पंचों के पद रिक्त रह जाएंगे. 

सरपंच और  जिला पंचायत सदस्य के लिए है मारामारी
प्रदेश में अनेक गांव ऐसे हैं, जिनमें पंच के पद के लिए गांव के किसी व्यक्ति ने नामांकन ही दाखिल नहीं किया. इन गांवों में केवल सरपंच, जिला पंचायत सदस्य और जनपद सदस्य के लिए चुनाव होगा. प्रदेश में पंच के कुल पद 3.63 लाख हैं, जिनमें 95695 पदों के लिए ही नामांकन आए हैं. मध्य प्रदेश में 22921 सरपंचों के पदों के लिए 81951 नामांकन भरे गए हैं. वहीं, 6771 जनपद सदस्यों के लिए 17310 और 875 जिला पंचायत सदस्यों के लिए 5983 नामांकन पत्र दाखिल किए गए हैं. 

राजनीतिक दलों ने जताई चिंता
कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा का कहना है कि पंचों की पंचायतों में कोई सुनवाई ही नहीं होती है, यही कारण है कि कोई पंच नहीं बनना चाहता. प्रदेश भाजपा सचिव राहुल कोठारी का कहना है कि यह चिंताजनक विषय है. कोठारी ने कहा कि अचानक चुनाव की घोषणा होने के कारण भी हो सकता है कि लोग मानसिक रूप से तैयार नहीं हो पाए हों. कोठारी के अनुसार राज्य निर्वाचन आयोग को भी इस बारे में विचार करना चाहिए कि, क्या कारण है कि लोग पंच नहीं बनना चाहते हैं.

सरपंचों के निरंकुश होने का है खतरा
गांव में पंचों के न होने से सरपंच भी निरंकुश हो जाएंगे. जानकारों के अनुसार पंचों के पद रिक्त रहने से राज्य निर्वाचन आयोग को कुछ  माह बाद पंचों के लिए दोबारा चुनाव करवाना पड़ सकता है.

जटिल नामांकन प्रक्रिया से भी घट रही रुचि
पंचों के लिए नामांकन न आने का कारण नामांकन प्रक्रिया का जटिल होना भी बताया जा रहा है. नामांकन भरने के पहले परिवार का बिजली का बिल, जल कर, संपत्ति कर क्लियर होना आवश्यक है. पंचायत से कई प्रकार के नोड्यूज सार्टिफिकेट भी लेना पड़ता है. यह भी एक कारण है कि लोग पंच बनने से कतरा रहे हैं.