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मध्य प्रदेश में एक बार फिर खुली सुस्त अधिकारियों की पोल, सीएम शिवराज ने अधिकारियों को लगाई फटकार

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राजधानी की खराब सड़कों को लेकर नाराजगी जाहिर की है. मुख्यमंत्री चौहान ने राजधानी परियोजना को बंद करने के आदेश भी जारी कर दिये हैं.

Updated on: 21 Aug 2021, 02:01 PM

highlights

  • मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खराब सड़कों पर जताई नाराजगी
  • मध्य प्रदेश में एक बार फिर खुली सुस्त अधिकारियों की पोल
  • प्रदेश में सीएम के फटकार के बिना अधिकारी नहीं करते काम

भोपाल:

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राजधानी की खराब सड़कों को लेकर नाराजगी जाहिर की है. मुख्यमंत्री चौहान ने राजधानी परियोजना को बंद करने के आदेश भी जारी कर दिये हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की खराब सड़कों को लेकर नाराजगी ने एक बार फिर प्रदेश के सुस्त अधिकारियों की पोल खोल कर रख दी है. प्रदेश की खराब सड़कों को लेकर लगातार सभी ओर से मामला उठता आ रहा है. भोपाल में भी खराब सड़कों की बात मीडिया के जरिये लगातार सामने आ रही है. उसके बाद भी बेपरवाह अधिकारी सीएम की डांट का इंतजार कर रहे है.

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ऐसा कहा जाता है कि प्रदेश में किसी भी मामले को नौकरशाह तब तक गंभीरता से नहीं लेते हैं, जब तक सीएम की फटकार न पड़े. हाल ही में बाढ़ के दौरान श्योपुर कलेक्टर और एसपी को हटाने के बाद ही बाढ़ राहत के काम प्रारंभ हुए थे. सड़कों के मामले में भी मुख्यमंत्री चौहान ने कमिश्नर कवीन्द्र कियावत को फटकार लगाया है. प्रदेश में नौकरशाही और अन्य अधिकारियों की सुस्ती का यह पहला मामला नहीं है. वैक्सीनेशन का अभियान हो, पीडीएस की दुकानों से अन्न वितरण या अन्य कोई जमीनी समस्यायें हों. सीएम को हर बार ही मैदान में उतरना पड़ता है. पूर्व आईएएस (IAS) अधिकारियों का भी मानना है कि मैदानी अधिकारियों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिये. उन्होंने कहा कि ठेकेदारों पर अधिकारियों का नियंत्रण न होने की वजह से ऐसे हालात बन रहे हैं.

शिवराज सिंह चैहान ने दोबारा सरकार बनाने के बाद कमिश्नर कलेक्टर कांफ्रेंस कर अनेक अधिकारियों को हटाया भी है. इसके बावजूद भी नौकरशाहों के कान पर जूं नहीं रेंग रही है. भाजपा के नेता भी मानते हैं कि सीएम सही काम कर रहे हैं लेकिन अधिकारियों को भी जनता की समस्यायों को लेकर अलर्ट रहना चाहिये. सड़कों के मामले में मुख्यमंत्री की नाराजगी के बाद कांग्रेस को भी हमला करने का एक और मौका मिल गया है. बाढ़ के दौरान जिस प्रकार पुल टूटे और अब सड़कें बदहाल हैं उससे यह भी साफ है कि इन्फ्रास्टकचर के कामों में किस प्रकार का घालमेल चल रहा है. भोपाल की खराब सड़कें प्रदेश में अधिकारियों की नाकामी का एक उदाहरण हैं. राजधानी की सड़कों की तरह ही पूरे प्रदेश में सड़कों की हालत खराब है और भी ऐसे कई मामले हैं, जो मीडिया के द्वारा लगातार संज्ञान में लाये जा रहे हैं. ऐसे में सीएम की डांट का असर भोपाल तक ही सीमित रह जाता है या अन्य जिलों के अधिकारी भी खराब हो रही व्यवस्थाओं को सुधारने पर ध्यान दे सकते हैं.