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शिवराज सिंह का नया तेवर और अंदाज, मंत्रियों संग चाय पर चर्चा

भाजपा की सत्ता में हुई वापसी के बाद वर्तमान में शिवराज मंत्रिमंडल में 11 मंत्री ऐसे हैं जो कांग्रेस छोड़कर आए हैं.

Updated on: 08 Jan 2021, 09:06 AM

भोपाल:

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी चौथी पारी में नए अंदाज में हैं. वे जनता की नब्ज को टटोलने से लेकर अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों में नकेल डालने के मामले में पीछे नहीं हैं. पहले उन्होंने बल्लभ भवन से बाहर मंत्रिपरिषद की बैठक करके मंत्रियों को दलालों से दूर रहने की हिदायत दे डाली, तो अब एक-एक मंत्री से चाय पर चर्चा का सिलसिला शुरू कर दिया है. राज्य में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा की सत्ता में वापसी हुए 10 माह का वक्त बीत चुका है. इस दौरान मंत्रिपरिषद की वर्चुअल बैठकों का दौर चल रहा था, मगर मंगलवार को कोलार विश्राम गृह में पहली बैठक हुई. मंत्रियों से हुई दिन भर की चर्चा के पश्चात यह निर्णय लिया गया था कि वे प्रतिदिन मंत्रियों से चाय पर चर्चा करेंगे.

मुख्यमंत्री चौहान ने मंत्रियों के साथ चाय पर चर्चा का दौर गुरुवार से शुरू कर दिया है. गुरुवार को चौहान की चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग और खेल व युवक कल्याण मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया के साथ चाय पर चर्चा हुई. दोनों ही मंत्रियों से उनके विभागों के संदर्भ में विस्तार से चर्चा मुख्यमंत्री ने की. साथ ही उनकी समस्याओं को भी जाना. दोनों मंत्रियों ने अपनी विभागीय योजनाओं का ब्यौरा तो दिया ही, साथ में आगामी समय की येाजनाओं पर भी चर्चा की.

ज्ञात हो कि राज्य में भाजपा की सत्ता में हुई वापसी के बाद वर्तमान में शिवराज मंत्रिमंडल में 11 मंत्री ऐसे हैं जो कांग्रेस छोड़कर आए हैं. लिहाजा भाजपा और सरकार की रीति-नीति से उन्हें अवगत कराना और उनकी कार्यशैली को समझना मुख्यमंत्री को भी जरूरी है. मंत्रियों के भीतर झांकने का तरीका संवाद से बेहतर और कुछ नहीं हो सकता. इसी के मददेनजर मुख्यमंत्री चौहान ने सभी मंत्रियों से चाय पर चर्चा की शुरुआत की है.

राजनीति के जानकारों का कहना है कि चौहान इस बार आक्रामक अंदाज में खेलना चाह रहे हैं और यह तभी संभव है जब वे नौकरशाही के साथ अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों पर लगाम कसकर रखें. कोलार विश्राम गृह में चौहान ने मंत्रियों को हिदायत भी दी थी कि वे अपने को दलालों से बचाकर रखें. मुख्यमंत्री के इस बयान के बड़े मायने हैं. वहीं वे कई अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर यह संदेश भी दे रहे हैं कि जो अच्छा काम करेगा उसे बेहतर जिम्मेदारी मिलेगी और जो गड़बड़ करेगा, उस पर गाज गिरेगी. यह कटनी और ग्वालियर में देखने को भी मिल चुका है.