MP में 'ऑपरेशन कमल' के बड़े रणनीतिकार बनकर उभरे नरेंद्र सिंह तोमर (Photo Credit: फाइल फोटो)
भोपाल:
मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) की सरकार वापस लाने में केंद्रीय मंत्री और पार्टी नेता नरेंद्र सिंह तोमर की बड़ी और निर्णायक भूमिका रही है. 'मिशन कमल' को गुपचुप तरीके से चलाने और ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) को भाजपा खेमे में लाने की व्यूह रचना में तोमर बड़े रणनीतिकार बनकर उभरे हैं. ये तब है कि जब नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) और ज्योतिरादित्य दोनों की राजनीति ही ग्वालियर संभाग में परस्पर विरोध के आधार पर ही चलती है.
यह भी पढ़ें: मध्य प्रदेश का सियासी संकट: राज्यपाल से मिले बीजेपी नेता, शरद कोल मामले में सौंपा ज्ञापन
चंबल और ग्वालियर संभाग में ज्योतिरदित्य सिंधिया के नेतृत्व में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में भाजपा का सुपड़ा साफ कर दिया था और वर्चस्व की लड़ाई अपने नाम कर ली थी. दोनों ही नेताओं में राजनीतिक अदावत पुरानी रही है. बावजूद इसके शीर्ष नेतृत्व के कहने पर 'मिशन कमल' को सफल बनाने के लिए नरेंद्र सिंह तोमर ने ज्योतिरदित्य से गुपचुप दिल्ली में कई दौर की बातचीत की. कमलनाथ सरकार को अंकगणित की लड़ाई में मात देने की रणनीति में नरेंद्र तोमर की बड़ी भूमिका रही. यहां तक कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को आश्वस्त करने और विश्वास दिलाने की भी जिम्मेदारी नरेंद्र सिंह तोमर ने बखूबी निभाई.
नरेंद्र सिंह तोमर ही ज्योतिरादित्य सिंधिया और पार्टी हाईकमान के बीच संपर्क सूत्र बन कर उभरे. दोनों ही नेताओं के बीच कई दौर की बातचीत हुई. इस बातचीत का गवाह बना दिल्ली का हरियाणा भवन, जहां दोनों नेताओं ने गुपचुप मुलाकात की.
यह भी पढ़ें: कांग्रेस छोड़ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए पूर्व विधायक भोपाल पहुंचे
सुत्रों के मुताबिक, नरेंद्र सिंह तोमर ही भाजपा आलाकमान तक ज्योतिरादित्य का संदेश पहुचाते रहे. कई दौर की बातचीत में तोमर ने ही ज्योतिरादित्य को आश्वस्त कराया कि भाजपा में उनकी राजनीति सुखद रहेगी. यहां तक कि कांग्रेस के बागी विधायकों से बातचीत और उनके बेंगलुरू प्रवास व्यवस्था की देखरेख भी इन्हीं के कंधों पर थी. लिहाजा जब कांग्रेस के सभी बागी विधायक दिल्ली भाजपा में शामिल होने पहुंचे, तो नरेंद्र सिंह तोमर ने न केवल विधायको की अगुवानी की, बल्कि भाजपा अध्यक्ष जे.पी नड्डा से इनका परिचय भी कराया.
ऐसे में अगर भाजपा आलकमान मध्यप्रदेश के संदर्भ में नरेंद्र सिंह तोमर को कोई बड़ी भूमिका दे दो, तो आश्चर्य नही होना चाहिए. तोमर गृह मंत्री के विश्वास पात्र रहे हैं, और फिलहाल मध्यप्रदेश में उनके नाम पर कोई ज्यादा विरोध भी नहीं है.