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प्यारे मियां केस में हाथरस कांड की तरह पीड़ि‍ता का अंतिम संस्कार

बुधवार को नाबालिग की मौत के बाद गुरुवार को पुलिस की निगरानी में दोपहर करीब 1.30 बजे उसका भदभदा विश्राम घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया गया.

Updated on: 22 Jan 2021, 11:55 AM

भोपाल:

बीजेपी शासित मध्य प्रदेश में योगी शासित उत्तर प्रदेश की पुलिस जैसी लापरवाही देखने को मिली है. प्यारे मियां यौन शोषण मामले को हाथरस कांड जैसा डील किया गया. दरअसल, बुधवार को नाबालिग की मौत के बाद गुरुवार को पुलिस की निगरानी में दोपहर करीब 1.30 बजे उसका भदभदा विश्राम घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया गया. इस कार्रवाई को लेकर पुलिस का कहना है कि उसकी मौत नींद की गोलियां खाने की वजह से हुई, जबकि परिजनों का आरोप है कि उनकी बच्‍ची को शासकीय बालिका गृह में जहर दिया गया है.

अस्पताल से सीधे श्मशान घाट
जानकारी के मुताबिक, पुलिस नाबालिग के शव को हमीदिया अस्पताल से सीधे श्मशान घाट ले गई थी. बताया जाता है कि पीड़िता के चाचा और पिता ने शव को घर ले जाने की जिद की थी, लेकिन पुलिस ने उनकी एक न सुनी. इस बीच, बैरागढ़ एसडीएम मनोज उपाध्याय ने हमीदिया पहुंचकर परिजों को 2 लाख रुपए का चेक दिया. इसके बाद हबीबगंज सीएसपी भूपेंद्र सिंह ने पिता और चाचा को शव वाहन में बैठाकर विश्राम घाट रवाना कर दिया. बताया जाता है कि इसके बाद क्राइम ब्रांच की टीम नाबालिग के घर गई और कुछ और महिलाओं को विश्राम घाट ले आई.

पीड़ि‍ता की मां की हालत बेहद खराब
मां ने जब बेटी का शव को देखा तो वह स्तब्ध रह गईं. उनकी आंखें खुली थीं और जुबां थमी हुई थी. दरअसल, बुधवार को बेटी की मौत की खबर मां को इसलिए नहीं दी गई थी कि कहीं उन्हें सदमा न लग जाए. पीड़ि‍ता की मां ने महिला थाना प्रभारी अजिता नायर, बाल कल्याण समिति के कृपा शंकर चौबे और बालिका गृह की अधीक्षिका एंटोनिया पर अपनी बेटी को जबरन गोलियां खिलाने का आरोप लगाया है. उन्होंने मुख्यमंत्री से सीबीआई जांच की मांग भी की है. इस पूरे घटनाक्रम को संदिग्ध को देखते हुए मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दे दिए गए हैं.

जानें पूरा मामला
प्यारे मियां यौन शोषण मामले में 5 फरियादी बालिका गृह में रह रही हैं. उनमें से एक नाबालिग को नींद की गोलियां खा लेने के कारण सोमवार रात संदिग्ध परिस्थितियों में हमीदिया अस्पताल में भर्ती किया गया था. उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था. सूचना मिलते ही नाबालिग के परिजन भी अस्पताल पहुंच गए थे. उन्होंने बाल गृह पर लापरवाही बरतने के आरोप लगाए थे. मामले की गंभीरता को देखते हुए मंगलवार को कलेक्टर अविनाश लवानिया ने न्यायायिक जांच के आदेश दे दिए थे. पूरे मामले में कमला नगर थाना पुलिस ने मंगलवार को जांच शुरू कर दी थी. इसमें एक अन्य नाबालिग लड़की के बयान भी लिए गए, जिसके बाद उसकी भी तबीयत खराब हो गई.