श्योपुर जिले के कूनो पालपुर को आबाद होने के लिए अभी और इंतजार करना होगा. चीतों को रखने के लिए बनाए गए बाड़े में तेंदुए घुस गए हैं. इन तेंदुओं को निकालने के लिए वन विभाग के अधिकारी लगातार प्रयास कर रहे हैं. चीतों को खुले में छोड़ने के पहले 5 किलोमीटर के बाड़े में रखा जाएगा. जिससे वे यहां के वातावरण के अनुरूप खुद को ढाल लें. इसके बाद चीतों को खुले में छोड़ दिया जाएगा. चीतों केा खुले में छोड़ने के पहले ग्रामीणों के लिए भी जागरूकता अभियान चलाया जाएगा.
कूनो पालपुर के पास करीब एक दर्जन से अधिक गांव हैं. इन गांवों के लोगों में चीते से भय दूर किया जाएगा. इसके साथ ही इन लोगों को यह भी बताया जाएगा कि चीता मानव जाति के लिए नुकसानदायक नहीं है.
पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ जेएस चौहान के अनुसार चीतों को लाने की प्रक्रिया भारत सरकार के द्वारा की जा रही है. चौहान ने कहा कि कूनो पालपुर में बड़ी संख्या में तेंदूए हैं. इन तेंदुओं को बाड़े से बाहर निकाला जा रहा है जिससे कि यह चीतों के खतरानाक न हो जाएं. जानकारी के अनुसार 6 में से 3 तेंदूओं को बाहर निकाल लिया गया है. 3 तेंदूओं को निकालने के लिए वन विभाग का पूरा अमला लगा हुआ है.
नामीबिया और साउथ अफ्रीका से लग रहा समय
कूनो पालपुर में नामीबिया और साउथ अफ्रीका से चीते लाने का काम चल रहा है. जानकारी के अनुसार नामीबिया से 8 चीते लाये जाने के लिए तैयारी पूरी हो गई है. नामीबिया से भारत सरकार का अनुबंध भी हो गया है. पहले नामीबिया से चीते लाए जायेंगे. इसके बाद साउथ अफ्रीका से चीते लाने का काम किया होगा. दक्षिण अफ्रीका से भी जल्द ही अनुबंध होने के आसार बन रहे हैं. इसके लिये केन्द्र सरकार के अधिकारी प्रयासरत हैं. सूत्रों के अनुसार इस माह के अंत तक चीते कूनो पालपुर में जा सकते हैं.
प्रधानमंत्री के भी आने की संभावना
भारत में जब चीते लाए जाएंगे तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इस आयेाजन में शामिल होंगे. मोदी दिल्ली में इस आयोजन में शामिल होंगे या कूनो पालपुर आयेंगे इस बारे भी फिलहाल अधिकृत जानकारी राज्य सरकार के पास नहीं आयी है.
गिर के सिंह लाने का प्रोजेक्ट हुआ फेल
कूनो पालपुर में सालों तक गुजरात के गिर से सिंह लाने की बात चलती रही. सुप्रीम कोर्ट ने भी 2013 में गिर के सिंहों को कूनो में लाने को कहा था. गुजरात सरकार को इस मामले में रिव्यू पिटिशन पर भी सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा इसके बाद भी कोई न कोई बहाना कर गिर के सिंहों केा कूनो नहीं भेजा गया. गुजरात सरकार कभी आईयूसीएन अध्ययन की बात कहकर तो कभी और कोई बहाना बनाकर कूनो में सिंह भेजने के प्रोजेक्ट को टालती रही. अब चीतों से ही यह नेशनल पार्क आबाद होगा ऐसे आसार बन रहे हैं.
चीता प्रोजेक्ट के लिये अनुकूल
चीता प्रोजेक्ट के लिये कूनो पालपुर के जंगलों केा सबसे बेहतर माना जा रहा है. साउथ अफ्रीका के वाइल्डलाइफ विशेषज्ञों की एक टीम ने भी कूनो का दौरा किया था. इन लोगों ने भी इस बात केा माना था कि चीतों के लिये यह सबसे अनुकूल जगह है. कूनो केा करीब दस साल से चीतों का इंतजार है. दस साल पहले कूनो में साउथ अफ्रीका से चीते लाने की बात चली थी तब से यह जंगल चीतों के स्वागत का इंतजार कर रहे हैं.
Source : News Nation Bureau