MP शिक्षा बोर्ड की बड़ी गलती, किताब में पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम का निधन 1915 छाप दिया
पूरे भारत में शिक्षा व्यवस्था का हाल किसी से भी नहीं छिपा है. उत्तर भारत के राज्यों में तो शिक्षा का हाल और भी बुरा है.
highlights
- 2015 में हुआ था अब्दुल कलाम का निधन
- भोपाल में अभी तक नहीं पहुंची हैं नई किताबें
- सामान्य हिंदी की किताब मकरंद में आई है गड़बड़ी
भोपाल:
पूरे भारत में शिक्षा व्यवस्था का हाल किसी से भी नहीं छिपा है. उत्तर भारत के राज्यों में तो शिक्षा का हाल और भी बुरा है. मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार विदेशों की तर्ज पर शिक्षा व्यवस्था को सुधारने की कवायद कर रही है. प्रदेश के मंत्री और तमाम अधिकारी विदेशी दौरे पर जा रहे हैं. लेकिन मध्य प्रदेश की पाठ्य पुस्तकों में ही गड़बड़ियां सामने आ रही हैं. मध्य प्रदेश बोर्ड की 12वीं की पुस्तक में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कमला के देहांत के वर्ष को गलत अंकित कर दिया गया है. जब यह खबर सामने आई तो इसे सुधारने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं.
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किताबों में छपाई की गड़बड़ी पर स्कूल शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी का कहना है कि गलती हुई है. इसीलिए इसे संज्ञान लेकर तुरंत सुधार के निर्देश दिए गए हैं. प्रदेश में शिक्षा सत्र 2019-20 के लिए समान्य हिंदी (मकरंद) में गड़बड़ी सामने आई है. इस किताब में मेरे सपनों के भारत में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के पाठ में चीवन परिचय में गलती सामने आई है.
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किताब में अब्दुल कलाम जी के देहांत का वर्ष गलत छाप दिया गया है. अब्दुल कलाम का देहांत वर्ष 2015 में हुआ था जिसे किताब में 1915 छाप दिया गया है. जब किताबें स्कूलों में पहुंची तो राज्य शिक्षा केंद्र हरकत में आया और संशोधन के लिए पत्र जारी किया. मध्य प्रदेश शिक्षा बोर्ड की गलती सिर्फ 2019-20 की किताब में ही नहीं आई है.
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बल्कि 2017-18 में उनके निधन का वर्ष ही नहीं छापा गया था. पाठ को अगर पढ़ा जाए तो ऐसा लग रहा है जैसे वह अभी भी जीवित हैं और काम कर रहे हैं. इस तरह की बेहद सामान्य गलतियां सामने आने से शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े होते हैं. राजधानी भोपाल के स्कूलों में 2019-20 की किताबें नहीं पहुंची हैं. पुराने सत्र की किताबों से ही छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं.
बीजेपी का निशाना
भाजपा के पूर्व मंत्री विश्वास सारंग का कहना है कि कांग्रेस की सरकार और नेता केवल एक ही परिवार का महिमामंडन करते रहते हैं. उनके मन और मस्तिष्क में नेहरू परिवार ही है. अब्दुल कलाम जैसे देशभक्तों के मामले में इस तरह का नजरिया बेहद गलत है. यह कोई छोटी-मोटी घटना नहीं है. दोषियों पर कार्रवाई की जाए.
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