एमपी मंत्रिमंडल के समक्ष पेश किया जाएगा धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2020

आज मध्य प्रदेश धर्म स्वातंत्र्य (धार्मिक स्वतंत्रता) विधेयक 2020 को मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल के सामने पेश किया जाएगा.

आज मध्य प्रदेश धर्म स्वातंत्र्य (धार्मिक स्वतंत्रता) विधेयक 2020 को मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल के सामने पेश किया जाएगा.

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Vineeta Mandal
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एमपी धर्म स्वातंत्र्य  विधेयक 2020 मंत्रिमंडल में किया जाएगा पेश

एमपी धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2020 मंत्रिमंडल में किया जाएगा पेश( Photo Credit : (फोटो-ANI))

आज मध्य प्रदेश धर्म स्वातंत्र्य (धार्मिक स्वतंत्रता) विधेयक 2020 को मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल के सामने पेश किया जाएगा. इस विधेयक के तहत धर्म परिवर्तन कराने वाले दोषियों को 5 से 10 साल तक की सजा और 1 लाख का जुर्माना चुकाना पड़ेगा. इसके बाद इस विधेयक को 28 दिसंबर से शुरू होने वाले विधानसभा के तीन दिवसीय सत्र में भी पास होने के लिए रखा जा सकता है. बता दें कि 28 दिसंबर से विधानसभा का तीन दिवसीय सत्र शुरू होने जा रहा है. 

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बता दें कि इससे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस विधेयक का समर्थन करते हुए कहा था कि अब प्रदेश में कोई भी व्यक्ति किसी को बहला-फुसलाकर, डरा-धमका कर शादी कर या षडयंत्र कर धर्म परिवर्तन नहीं करा पाएगा,  ऐसा करने वाले के खिलाफ सख्म कार्रवाई की जाएगी. प्रस्तावित बिल में प्रावधान किया गया है कि किसी व्यक्ति द्वारा धर्म परिवर्तन कराने का प्रयास किया जाता है, तो पीड़ित के माता-पिता या सगे संबंधी भी शिकायत दर्ज करा सकेंगे. ऐसी शिकायत पर पुलिस आरोपी के खिलाफ केस दर्ज करेगी. ऐसे मामले में अपराध गैर जमानती होगा.

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गौरतलब है कि हाल ही में बीजेपी शासित हिमाचल प्रदेश में जबरन या बहला-फुसलाकर धर्मांतरण या धर्मांतरण के 'एकमात्र उद्देश्य' से शादी के खिलाफ एक अधिक कठोर कानून लागू हो गया है, जिसमें उल्लंघनकर्ताओं के लिए सात वर्ष तक की सजा का प्रावधान है. इसे एक साल से अधिक समय पहले राज्य विधानसभा द्वारा पारित किया गया था. वहीं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पिछले महीने जबरन या धोखेबाजी से धर्मांतरण के खिलाफ एक अध्यादेश को अधिसूचित किया गया था, जिसमें विभिन्न श्रेणियों के तहत 10 साल तक की कैद और अधिकतम 50,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है. 

बता दें कि बीजेपी शासित कई अन्य राज्य इस तरह के कानूनों पर विचार कर रहे हैं और पार्टी नेताओं का कहना है कि इसका उद्देश्य 'लव जिहाद' से मुकाबला करना है. इस विधेयक को पिछले साल 30 अगस्त को हिमाचल प्रदेश विधानसभा में पारित किया गया था और राज्यपाल की मंजूरी प्राप्त हुई थी.

Source : News Nation Bureau

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