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MP : भाजपा के राज्यसभा दावेदारों के नाम लिफाफे में बंद

मध्य प्रदेश से राज्यसभा की तीन सीटों के लिए इसी माह होने जा रहे चुनाव को लेकर भाजपा नेताओं की रविवार को पार्टी के प्रदेश कार्यालय में बैठक हुई.

Updated on: 08 Mar 2020, 05:24 PM

भोपाल:

मध्य प्रदेश से राज्यसभा की तीन सीटों के लिए इसी माह होने जा रहे चुनाव को लेकर भाजपा नेताओं की रविवार को पार्टी के प्रदेश कार्यालय में बैठक हुई. चुनाव अभियान समिति की बैठक में कई नामों पर चर्चा कर सूची को लिफाफे में बंद कर दिल्ली हाईकमान को भेजा जा रहा है. भाजपा मप्र की दो राज्यसभा सीटें जीतना चाहती है और इसके लिए उसकी ओर से हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं. भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष वी.डी. शर्मा की मौजूदगी में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई. इस बैठक में विभिन्न नामों पर मंथन हुआ, साथ ही राज्य की वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति पर विचार-विमर्श किया गया.

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इस बैठक में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव के अलावा अपना कार्यकाल पूरा करने जा रहे राज्यसभा सदस्य सत्यनारायण जटिया व प्रभात झा के अलावा पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ल भी मौजूद रहे. पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष वी.डी. शर्मा ने संवाददाताओं को बताया कि भाजपा चुनाव अभियान समिति की बैठक में नामों पर चर्चा हुई और इन नामों की सूची लिफाफे में बंद कर दिल्ली भेजी जा रही है. राज्यसभा चुनाव से पहले राज्य के 10 विधायकों के लापता हो जाने के बाद से सियासत गरमाई हुई है. कांग्रेस, भाजपा पर सीधे तौर पर खरीद-फरोख्त के आरोप लगा रही है. लापता हुए विधायकों में से सात लौट आए हैं. सभी ने भाजपा की ओर से किसी तरह का प्रस्ताव दिए जाने की बात को सीधे तौर पर नकार दिया है.

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ज्ञात हो कि मप्र से राज्यसभा की तीन सीटें खाली हो रही हैं, क्योंकि कांग्रेस के दिग्विजय सिंह, भाजपा के सत्यनारायण जटिया और प्रभात झा का कार्यकाल अप्रैल में खत्म हो रहा है और इन तीनों सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव होना है. विधायकों के संख्या बल के आधार पर इन तीन सीटों में से एक-एक सीट कांग्रेस और भाजपा को मिलना तय है. लेकिन एक और सीट के लिए कांग्रेस को दो और भाजपा को नौ विधायकों की जरूरत है.

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विधानसभा में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नहीं है. राज्य की 230 सीटों में से फिलहाल 228 विधायक हैं, जबकि दो सीटें खाली हैं. कांग्रेस के 114 और भाजपा के 107 विधायक हैं. कांग्रेस की कमलनाथ सरकार निर्दलीय चार, बसपा के दो और सपा के एक विधायक के समर्थन से चल रही है. कांग्रेस को दो विधायकों और भाजपा को नौ विधायकों का समर्थन मिलने पर ही दूसरी सीट जीत पाना संभव होगा. क्योंकि एक सीट जीतने के लिए 58 विधायकों का समर्थन चाहिए. इस तरह दो सीटों के लिए कांग्रेस या भाजपा को 116 विधायकों का समर्थन पाना होगा.