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nexus of fraud rashan card,( Photo Credit : ani)
चौंकिए नहीं ये बातें खुद खाद्य आपूर्ति विभाग की स्क्रूटनी में सामने आई हैं. आंकड़ों से साफ हुआ है कि राज्य में सबसे ज्यादा फर्जी गरीब हैं. दरअसल जांच के दौरान 14 लाख 24 हजार 115 फर्जी राशन कार्ड निरस्त किए गए. कई ऐसे लोग थे, जो लखपति थे. ये गरीबों के हक का राशन ले रहे थे. ये आंकड़े देश भर में सबसे ज्यादा हैं. केन्द्र ने मध्य प्रदेश को फर्जी गरीबों के मामले में आगाह किया था. जिसके बाद सरकार ने एक्शन लेना शुरू किया, तो फर्जी राशन कार्डों की लाइन लग गई. शिवराज सरकार इसे अपनी उपलब्धि मान रही है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में 61,265 कार्ड रद्द हुए. वहीं 2020 में 1,65,829 और 2021 में 14 लाख 24,115 कार्ड निरस्त किए गए.
अंदाजा लगाया जाए तो पैसे वाले कितने गरीबों के हक पर डाका डाल रहे थे. अब सवाल है कि आखिर फर्जी राशन कार्ड कैसे बनाए जाते हैं? तो बताया जाता है कि फर्जी राशन कार्ड का बड़ा नेक्सस है. सियासी पार्टियां भी इसके लिए जिम्मेदार हैं. कार्यकर्ताओं के कहने पर नेता सिफारिश करते हैं. सिफारिश के आधार पर कार्ड बना दिए जाते हैं. ऐसा कहा जाता है कि जितना ज्यादा राशन कार्ड बनवा दिया, उसका पलड़ा उतना ही भारी रहता है.
रिपोर्ट में सामने आया है कि फर्जी राशन कार्ड बनाने के पीछे सियासी दबाव भी एक बड़ी वजह है. ये भी सच है कि सरकारी मुलाजिमों की मिलीभगत से भी ये फर्जीवाड़ा होता रहा है. लेकिन जब से सिस्टम ऑनलाइन हुआ है,तब से गरीबों का हक छिनना मुश्किल हो गया है. इसमें ना सिर्फ पारदर्शिता बढ़ी है, बल्कि गड़बड़ी करने वाले भी बेनकाब हो रहे हैं. लाखों की संख्या में फर्जी राशन कार्ड का निरस्त होना, इसी सिस्टम से संभव हो सका है.
Source : Lokender Tyagi