मध्य प्रदेश में लव जेहाद कानून बड़ा कारगर साबित हो रहा है. आंकड़ों पर भरोसा करे तो जब से कानून बना है तब से औसतन रोज एक मामला दर्ज हो रहा है. कानून 9 जनवरी को लागू हुआ और 31 जनवरी तक 23 मामले दर्ज हो गए हैं. सरकार इन आंकड़ों को अपनी उपलब्धि बता रही है तो वहीं विपक्ष अभी भी सरकार पर निशाना साध रहा है. मध्य प्रदेश के गृह मंत्री मध्य प्रदेश नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि मध्य प्रदेश में लव जेहाद कानून बनाते ही औसत हर दिन एक मामला सामने आ रहा है. सबसे ज्यादा मामले सरकार की नाक के नीचे राजधानी भोपाल के ही हैं. प्रदेश में कानून जनवरी के दूसरे हफ्ते में बनकर तैयार हुआ. कानून बने अभी एक महीना ही बीता है और दो दर्जन तक मामले सामने आ गए हैं. कानून बनने के 23 दिनों बाद ही बीस से ज्यादा मामले दर्ज हो गए. सरकार इन मामलों को अपनी कामयाबी के तौर पर देख रही है.
आपको बता दें कि कानून बनने के बाद से अभी तक किस किस संभाग में कितने मामले दर्ज हुए हैं. लव जेहाद के सबसे ज्यादा मामले भोपाल संभाग में दर्ज हुए, जिनकी संख्या सात है तो वहीं इंदौर संभाग में ये मामले 5 हैं. वहीं, जबलपुर और रीवा संभाग में मामलों की संख्या चार है तो ग्वालियर में तीन. सरकार इस मामले पर अपनी पीठ थपथपाती दिखाई दे रही है. सत्ताधारी दल का मानना है कि देश में प्यार के नाम पर जिहादियों की ताकतें सक्रिय हैं तो विपक्ष सरकार के घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है.
लव जिहाद कानून को लेकर कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि इस तरह के कानून का आमतौर पर गलत इस्तेमाल होता है, इसलिए इन्हें बनाने के पहले बहुत सोच समझ के बनाना चाहिए.
कानून में ये हैं प्रावधान
- बहला-फुसलाकर, धमकी देकर जबर्दस्ती धर्मांतरण और शादी करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान. यह गैर जमानती अपराध होगा.
- धर्मांतरण और उसके बाद होने वाले विवाह के 2 महीने पहले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को दोनों पक्षों को लिखित में आवेदन देना होगा.
- बगैर डीएम को बताए दिए धर्मांतरण करवाने वाले धर्मगुरु, काजी, मौलवी या पादरी को भी 5 साल तक की सजा का प्रावधान है.
- धर्मांतरण और जबरन विवाह की शिकायत पीड़ित, माता-पिता, परिजन या गार्जियन किसी के भी द्वारा की जा सकती है.
- इस तरह के विवाह में सहयोग करने वाले को भी मुख्य आरोपी बनाया जाएगा और मुख्य आरोपी की तरह ही सजा होगी.
- जबरन धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाएगा.
- इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं को डोनेशन देने वाली संस्थाएं या लेने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन भी रद्द होगा.
- अपने धर्म में वापसी करने पर इसे धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा.
- पीड़ित महिला और पैदा हुए बच्चे को भरण-पोषण का हक हासिल करने का प्रावधान है.
Source : News Nation Bureau