महा विकास आघाडी मायूस, आधे दिन में वापस लौटे कमलनाथ
महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी सरकार पर आए संकट के बाद कांग्रेस भी नाउम्मीद हो गई है. कांग्रेस के पर्यवेक्षक बनाए गए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ आधे दिन का मुंबई दौरा कर वापस भोपाल आ गए हैं.
highlights
- महाराष्ट संकट छोड़कर पार्षद प्रत्याशियों के साथ की पूर्व सीएम ने बैठक
- मध्य प्रदेश की तरह महाराष्ट्र में भी चल रहा है सियासी संकट
भोपाल:
महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी सरकार पर आए संकट के बाद कांग्रेस भी नाउम्मीद हो गई है. कांग्रेस के पर्यवेक्षक बनाए गए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ आधे दिन का मुंबई दौरा कर वापस भोपाल आ गए हैं. कमलनाथ ने वापस लौटकर भोपाल के पार्षद प्रत्याशियों के साथ दो घंटे तक बैठक की. महाराष्ट्र में कांग्रेस के विधायकों को छोड़कर भोपाल के पार्षदों के साथ बैठक करने कमलनाथ के वापस आने से साफ है कि कांग्रेस को भी महाराष्ट्र में सरकार बचने की बहुत उम्मीद नहीं बची है.
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कमलनाथ शुक्रवार से सिंगरौली से नगरीय निकाय चुनाव प्रचार का आगाज कर रहे हैं. कमलनाथ के एक करीबी कांग्रेस नेता का कहना है कि प्रदेश में कांग्रेस की प्राथमिकता इस समय केवल नगरीय निकाय का चुनाव है. यही कारण है कि महाराष्ट्र से कमलनाथ वापस आ गए हैं. हालांकि, कमलनाथ का कहना है कि कांग्रेस के विधायक एकजुट हैं. कांग्रेस में टूट का कोई खतरा नहीं है. महाराष्ट में कांग्रेस विधायकों के अलावा कमलनाथ ने एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के साथ बैठक की. उन्होंने भाजपा पर भी सौदेबाजी कर सरकार गिराने को लेकर हमला किया.
कमलनाथ को महाराष्ट्र का पर्यवेक्षक बनाए जाने के साथ ही भाजपा उनपर तंज कस रही थी. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जो व्यक्ति मध्य प्रदेश में अपनी सरकार नहीं बचा पाया वे महाराष्ट्र में क्या सरकार बचाएगा? एमपी में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है. इस चुनाव के पहले नगरीय निकाय चुनाव कांग्रेस और भाजपा के लिए काफी महत्वपूर्ण है. यही कारण है कि कमलनाथ महाराष्ट्र में कांग्रेस को सहारा देने के स्थान पर अपनी साख बचाने वापस आ गए.
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एमपी की तरह ही चल रहा घटनाक्रम
महाराष्ट्र का घटनाक्रम मध्य प्रदेश की ही तरह चल रहा है. एमपी में कांग्रेस में टूट हुई थी, महाराष्ट्र में शिवसेना टूट रही है. एमपी कांग्रेस के बागी विधायकों ने बैंगलूर में डेरा डाल लिया था. शिवसेना के बागी विधायकों ने सूरत के बाद गुवाहाटी में डेरा डाला है. कांग्रेस तोड़ने का नेतृत्व ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किया था तो वहीं शिवसेना में नेतृत्व एकनाथ शिंदे कर रहे हैं.
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