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वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा के निधन पर एमपी में तीन दिन का राजकीय शोक

अविभाजित मध्य प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा के निधन पर उनके सम्मान में राज्य में तीन दिनों का राजकीय शोक घोषित किया गया है.

Updated on: 22 Dec 2020, 11:28 AM

भोपाल:

अविभाजित मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा के निधन पर उनके सम्मान में राज्य में तीन दिनों का राजकीय शोक घोषित किया गया है. राज्य शासन द्वारा जारी आदेश में 21 दिसम्बर से 23 दिसंबर, 2020 तक राजकीय शोक के दौरान प्रदेश-भर में राष्ट्रीय ध्वज झुका रहेगा. राजकीय शोक के दौरान प्रदेश में कोई भी शासकीय मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जायेगा. बता दें कि वो पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे. वोरा का अंतिम संस्कार मंगलवार को छत्तीसगढ़ के दुर्ग में किया जाएगा.

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गौरतलब है कि गांधी परिवार के प्रति हमेशा वफादार रहे दिग्गज कांग्रेस नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा का यहां सोमवार को दोपहर में निधन हो गया. एक दिन पहले उन्होंने अपना 93वां जन्मदिन मनाया था. वोरा ने यहां के फोर्टिस अस्पताल में अंतिम सांस ली. हाई ब्लडप्रेशर के साथ सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद इस अस्पताल में उन्हें 19 दिसंबर को भर्ती कराया गया था.

उन्हें क्रिटिकल केयर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. समीर श्रीवास्तव के वार्ड में भर्ती कराया गया था. सोमवार की सुबह उन्हें हाइपोटेंशन और हाइपोक्सिमिया संबंधी तकलीफ हुई थी. उसके बाद उन्हें एक सेप्टिक शॉक का अनुभव हुआ और उन्हें 3.52 बजे मृत घोषित कर दिया गया.

वोरा ने कांग्रेस पार्षद के रूप में अपना राजनीतिक कार्यकाल शुरू किया, जिसके बाद वे मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल और कांग्रेस के कोषाध्यक्ष बने. उन्होंने इस साल मार्च में अपना राज्यसभा कार्यकाल समाप्त किया था. इस दौरान उन्होंने कहा था, 'उच्च सदन में आखिरी दिन, मैं पूर्व मध्यप्रदेश के अविभाजित भाग दुर्ग के लोगों को नमन और सलाम करना चाहता हूं. मैंने इंदिरा जी (पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी) के साथ एक पार्षद के रूप में अपना राजनीतिक कार्यकाल शुरू किया और मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री के तथा केंद्रीय मंत्री के रूप में लोगों की सेवा करने की कोशिश की. मैं गांधी परिवार का शुक्रगुजार हूं और कांग्रेस की सेवा के लिए हमेशा तैयार हूं.'

वोरा गांधी परिवार के वफादार नेताओं में गिने जाते थे और कई बार मंत्री पद की दौड़ में होने के बावजूद, सोनिया गांधी ने उन्हें कांग्रेस के कोषाध्यक्ष के रूप में बनाए रखा, क्योंकि वह वोरा पर काफी भरोसा करती थीं. अपनी राजनीतिक यात्रा को याद करते हुए, वोरा ने कहा कि उन्होंने राजनीति में आने से पहले राजस्थान में थोड़े समय के लिए एक पत्रकार के रूप में भी काम किया.

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बढ़ती उम्र के साथ अपने अंतिम दिनों के दौरान भी कांग्रेस के दिग्गज नेता राजनीतिक रूप से बहुत सक्रिय थे और छत्तीसगढ़ सरकार के कामकाज पर कड़ी नजर रखते थे, जिसने हाल ही में दो साल पूरे किए हैं.

कांग्रेस के वफादारों में मोतीलाल वोरा और अहमद पटेल को अक्सर एक दूसरे के साथ बातचीत करते हुए देखा जाता था और लगभग सभी एआईसीसी की बैठकों में मौजूदगी दर्ज कराते थे.

वोरा के करीबी विश्वनाथ चतुवेर्दी ने बताया कि वोरा के दोस्त बताते हैं कि वोरा 'रबड़ी', 'जलेबी', 'दही-बड़े' जैसी व्यंजनों के शौकीन थे. इसके अलावा उन्हें 'पान' चबाना भी खूब पसंद था. 92 साल की आयु में भी उन्होंने कोविड-19 को मात दी और वे संक्रमण मुक्त भी हुए.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उनके निधन पर दुख प्रकट करते हुए ट्वीट किया, "वोरा जी एक सच्चे कांग्रेसी और बेहतरीन इंसान थे. हमें उनकी कमी बहुत महसूस होगी. उनके परिवार और मित्रों के प्रति मेरा स्नेह एवं संवेदना है."