कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी ज्वाइन करते ही अब मध्य प्रदेश सरकार ने उन पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. दरअसल सिंधिया के खिलाफ साल 2014 में सरकारी जमीन बेचने एक शिकायत ईओडब्ल्यू में की गई थी जिसकी जांच के आदेश दे दिए गए हैं. 2018 में शिकायतों को बंद कर दिया था. कलेक्टर ने जिला पंजीयक से मूल दस्तावेज जप्त कर लिए है. इसकी जांच के लिए ईओडब्ल्यू में पदस्थ एसपी देवेंद्र सिंह राजपूत का तबादला करके उनकी जगह अमित सिंह को पदस्थ कर जांच के आदेश दिए गए हैं. जानकारी के अनुसार ईओडब्ल्यू ने 2 शिकायतों की जांच शुरू की है.
इन दोनों की ही फाइल गुरुवार को खोल दी गई है. सूत्रों के अनुसार सिंधिया की पसंद से ईओडब्ल्यू में देवेंद्र को पदस्थ किया गया था, लेकिन अमित को एसपी बनाकर तत्काल प्रभार संभालने और सिंधिया घराने के खिलाफ बंद पड़ी दोनों शिकायतों से संबंधित दस्तावेज बरामद करने के निर्देश जारी कर दिए हैं.
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जिला कलेक्टर, ग्वालियर और जिला पंजीयक से सिंधिया द्वारा बेची गई जमीन के दस्तावेज जप्त कर लिए गए हैं..शिकायतकर्ता सुरेंद्र श्रीवास्तव ने गुरुवार को ईओडब्ल्यू में पुरानी शिकायतों की फिर से जांच करने के लिए आवेदन दिया था.
शिकायतकर्ता सुरेंद्र श्रीवास्तव ने 2014 में ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां माधवी राजे सिंधिया और उनके परिजनों द्वारा महलगांव की जमीन की रजिस्ट्री में कांट-छांट कर 15800 वर्गफीट में से 6 हजार वर्गफीट जमीन गायब करने का आरोप लगाया. 2009 में जमीन की मूल रजिस्ट्री में तीन जगह हाथों से लिखकर कांटछांट की गई है. जबकि पूरी रजिस्ट्री टाइपशुदा है.
वहीं, सिंधिया देव स्थान ट्रस्ट की 1.578 हेक्टेयर जमीन थी लेकिन 1.661 हेक्टेयर बेच दी. ट्रस्ट ने मूल जमीन से 0.083 हेक्टेयर जमीन अधिक जमीन 2006 और 2007 में दो अलग-अलग रजिस्ट्रियों के माध्यम से महाराणा प्रताप, भाग्योदय सहित पांच हाउसिंग सोसायटीय को जमीन बेच दी. जबकि बताया जा रहा है कि उनको बेचने का ट्रस्ट का अधिकार नहीं था. ट्रस्ट के पास यह सरकारी जमीन थी और प्रशासन की मदद से इसके फर्जी कागज तैयार कर बेचने के आरोप है.
Source : News State