Advertisment

राज्यसभा चुनाव पर मध्य प्रदेश की सियासत गर्म, विधायकों की विश्वसनीयता संदेह के घेरे में

एक तरफ जहां भाजपा पर चार विधायकों को अगवा करने का आरोप लग रहा है तो बीती रात भाजपा के तीन विधायकों की मुख्यमंत्री कमलनाथ से मुलाकात हुई है.

author-image
Dalchand Kumar
एडिट
New Update
bjp congress

राज्यसभा चुनाव पर सियासत गर्म, विधायकों की विश्वसनीयता पर संदेह( Photo Credit : फाइल फोटो)

Advertisment

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) से निर्वाचित होकर राज्यसभा जाने की नेताओं की चाहत ने राज्य की सियासत में चिंगारी भड़काने का काम किया है. राज्य के दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल, सत्ताधारी कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अतिरिक्त एक सीट हासिल करने की महत्वाकांक्षा के कारण जहां सियासी पारा चढ़ गया है, वहीं कई विधायकों की विश्वसनीयता संदेह के घेरे में आ गई है. कांग्रेस (Congress) ने अपने सभी विधायकों को एकजुट रखने भोपाल तलब किया है. राज्य से राज्यसभा की तीन सदस्यों, कांग्रेस के दिग्विजय सिंह, भाजपा (BJP) के सत्यनारायण जटिया और प्रभात झा के कार्यकाल अप्रैल में खत्म हो रहे हैं और इन तीनों सीटों के लिए इसी माह चुनाव होने हैं.

यह भी पढ़ें: मध्य प्रदेश में चल रही उथल-पुथल के बीच BJP ने प्रदेश के बड़े नेताओं को दिल्ली तलब किया

विधायकों के संख्या बल के आधार पर इन तीन सीटों में से एक-एक सीट कांग्रेस और भाजपा को मिलना तय है. लेकिन एक और सीट हासिल करने के लिए कांग्रेस को दो और भाजपा को नौ विधायकों के समर्थन की जरूरत है. इसी के चलते राज्य में कथित तौर पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का सिलसिला नित नए मोड़ ले रहा है. एक तरफ जहां भाजपा पर चार विधायकों को अगवा करने का आरोप लग रहा है तो बीती रात भाजपा के तीन विधायकों की मुख्यमंत्री कमलनाथ से मुलाकात हुई है. इतना ही नहीं, कई विधायक कह रहे हैं कि उनके पास भी नेताओं के दल बदलने के लिए फोन आए थे.

भाजपा के विधायक नारायण त्रिपाठी तो खुले तौर पर मुख्यमंत्री से मुलाकात की बात स्वीकार रहे हैं. मगर विधायक पद से इस्तीफे की बात को नकार रहे हैं. वहीं एक अन्य विधायक संजय पाठक ने मुख्यमंत्री या किसी कांग्रेस नेता से मुलाकात की बात को नकार दिया है. इतना ही नहीं पाठक ने अपनी हत्या तक की आशंका जता डाली है. इस पूरे सियासी नाटक की शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा कांग्रेस व सरकार को समर्थन देने वाले विधायकों को भाजपा की ओर से 25 से 35 करोड़ रुपये का ऑफर दिए जाने और उसके बाद विधायकों को दिल्ली ले जाने के आरोप से हुई.

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष वी.डी. शर्मा ने विधायकों की खरीद-फरोख्त को लेकर दिग्विजय सिंह के आरोपों पर सवाल उठाया है. शर्मा का कहना है, 'दिग्विजय सिंह राज्यसभा में जाना चाहते हैं, इसके लिए दिग्विजय सिंह और मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भाजपा को बदनाम करने के लिए झूठ फैलाया. वास्तविकता तो कांग्रेस सरकार के मंत्री उमंग सिंघार ने ही सामने ला दी है कि यह लड़ाई राज्यसभा को लेकर है.'

यह भी पढ़ें: मध्यप्रदेश में सियासी घमासान जारी, देर रात कमलनाथ से मिले बीजेपी के तीन विधायक

भाजपा के आरोपों का शुक्रवार को दिग्विजय सिंह ने जवाब दिया. उन्होंने कहा, 'राम बाई के साथ जो हुआ, उसका वीडियो सब के सामने है. दुख इस बात का है कि भाजपा और वन मंत्री उमंग सिंघार के बयान एक जैसे हैं. जहां तक राज्यसभा में भेजने की बात है तो यह अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी व प्रदेश इकाई को तय करना है.'

कांग्रेस के मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने आईएएनएस से कहा, 'विधायकों के संख्या बल के आधार पर दो सीटें कांग्रेस के हिस्से में और एक भाजपा को मिलनी है. मगर भाजपा इसे स्वीकार नहीं कर पा रही है. उसे राज्य की सत्ता खोना अच्छा नहीं लग रहा है, लिहाजा वह जोड़तोड़ की राजनीति कर रही है. मगर उसे सफलता नहीं मिलने वाली, क्योंकि राज्य के विधायक बिकाऊ नहीं हैं. भाजपा मध्य प्रदेश को बिहार और उत्तर प्रदेश की राह पर ले जाना चाहती है.'

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि सभी विधायकों को भोपाल आने को कहा गया है. कई विधायक भोपाल पहुंच भी चुके हैं और शेष के रात तक पहुंचने की संभावना है. वहीं दूसरी ओर भाजपा भी मंथन में जुटी है. पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेशाध्यक्ष वी.डी. शर्मा, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव सहित अन्य बड़े नेताओं का दिल्ली में डेरा है.

राज्य में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नहीं है. राज्य विधानसभा की 230 सीटों में से दो सीटें खाली हैं. सदन में कांग्रेस के 114 और भाजपा के 107 विधायक हैं. कांग्रेस की कमलनाथ सरकार निर्दलीय चार, बसपा के दो और सपा के एक विधायक के समर्थन से चल रही है. राज्यसभा के एक सदस्य के लिए 58 विधायकों का समर्थन चाहिए. इस स्थिति में कांग्रेस और भाजपा के एक-एक सदस्य का चुना जाना तय है. लेकिन दोनों दल एक और सीट पाने के लिए जोर लगा रहे हैं. इसके लिए कांग्रेस को दो और भाजपा को नौ विधायकों के समर्थन की जरूरत है. दोनों ही दल विधायकों को अपने-अपने पाले में खींचने की कोशिश में लगे हैं. इससे कई विधायकों की विश्वसनीयता खतरे में पड़ गई है.

सूत्रों के अनुसार, राज्यसभा में कांग्रेस दो नेताओं को भेजना चाहती है. एक उम्मीदवार मुख्यमंत्री कमलनाथ की पसंद का होगा और वह छिंदवाड़ा के पूर्व विधायक दीपक सक्सेना हो सकते हैं, जिन्होंने मुख्यमंत्री के लिए अपनी विधानसभा सीट छोड़ी थी. वहीं दूसरी सीट के लिए दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया बड़े दावेदार माने जा रहे हैं. सिंधिया को पार्टी हाईकमान राज्यसभा में भेजना चाहता है. सिंधिया लोकसभा चुनाव हार गए थे. दिग्विजय सिंह भी लोकसभा चुनाव हार गए थे, इसलिए वह भी फिर से राज्यसभा में जाना चाहते हैं.

यह भी पढ़ें: मध्यप्रदेश में अब बीजेपी का खेल बिगाड़ने की तैयारी में कांग्रेस, कमलनाथ ने खेला तुरूप का इक्‍का 

राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन की तारीख करीब आने से पहले सरकार समर्थक 10 विधायकों को 25 से 35 करोड़ रुपये तक का ऑफर दिए जाने और फिर उन्हें दिल्ली ले जाने का आरोप लगाकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सनसनी फैला दी. छह विधायक लौट आए, जिनमें से किसी ने भी प्रलोभन और बंधक बनाए जाने की बात नहीं कही. लेकिन चार विधायकों के बेंगलुरू में होने की बात कही जा रही है. कांग्रेस के एक विधायक हरदीप सिंह डंग ने विधानसभाध्यक्ष और मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. दूसरी ओर अन्य विधायकों के भी निकट भविष्य में इस्तीफा देने की चर्चा है.

सूत्रों के अनुसार, भाजपा सत्यनारायण जटिया को राज्यसभा भेजना चाहती है. क्योंकि पार्टी ने प्रदेशाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी ब्राह्मण नेता को सौंपी है, इसलिए वह जटिया को राज्यसभा भेजकर दलित-पिछड़ों के बीच संदेश देना चाहती है. दूसरी सीट पर भाजपा निर्दलीय, सपा, बसपा और कांग्रेस के असंतुष्ट विधायकों के जरिए कब्जा करना चाहती है. इसके लिए उसे भले ही गैर-भाजपाई को निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में क्यों न उतारना पड़े.

यह वीडियो देखें: 

congress MP News in Hindi madhya-pradesh BJP Rajya sabha election 2020 bhopal
Advertisment
Advertisment
Advertisment