कोरोना काल में किसी को खाना तो किसी को वाहन मुहैया करा रही मध्य प्रदेश पुलिस

वह कहीं लोगों को खाना खिला रही है, तो कहीं मंजिल तक पहुंचाने के लिए वाहन भी सुलभ करा रही है. कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए उठाए गए कदमों के क्रम में लॉकडाउन किया गया है और लोग घरों में रहें, सड़कों पर चहल-पहल ना हो, इसकी जिम्मेदारी पुलिस पर है.

वह कहीं लोगों को खाना खिला रही है, तो कहीं मंजिल तक पहुंचाने के लिए वाहन भी सुलभ करा रही है. कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए उठाए गए कदमों के क्रम में लॉकडाउन किया गया है और लोग घरों में रहें, सड़कों पर चहल-पहल ना हो, इसकी जिम्मेदारी पुलिस पर है.

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yogesh bhadauriya
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प्रतीकात्मक तस्वीर( Photo Credit : News state)

पुलिस को लेकर आम आदमी की हमेशा यही धारणा होती है कि वह लोगों पर रौब गांठती है, डंडा चलाती है, मगर कोरोना महामारी के दौरान मध्यप्रदेश में पुलिस का 'मानवीय चेहरा' भी सामने आ रहा है. वह कहीं लोगों को खाना खिला रही है, तो कहीं मंजिल तक पहुंचाने के लिए वाहन भी सुलभ करा रही है. कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए उठाए गए कदमों के क्रम में लॉकडाउन किया गया है और लोग घरों में रहें, सड़कों पर चहल-पहल ना हो, इसकी जिम्मेदारी पुलिस पर है. पुलिस तैनात है. बेवजह सड़कों पर निकलने वालों पर डंडा भी चला रही है और उन्हें उठक-बैठक लगाने से लेकर अलग तरह से दंडित भी कर रही है.

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एक तरफ जहां पुलिस अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर रही है, वहीं उसका मानवीय चेहरा भी सामने आ रहा है. अलग-अलग स्थानों पर तैनात पुलिस जवान जरूरतमंदों की हर संभव मदद करने की कोशिश कर रहे हैं. इंदौर में तो पुलिस वालों ने उन लोगों के लिए जूते-चप्पलों की भी व्यवस्था कर दी, जो नंगे पैर घरों की तरफ बढ़ रहे हैं. इसी तरह की तस्वीर जबलपुर के रेलवे स्टेशन पर नजर आई, जहां पुलिस जवानों ने बच्चों और मजदूरों को चप्पल मुहैया कराई.

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इसी तरह सूरत से सतना के मझगवां लौट रही राजकुमारी की भी पुलिस जवानों ने मदद की. राजकुमारी अपने दिव्यांग बच्चे को पीठ पर टांगकर गांव की तरफ बढ़ रही थी. इस दौरान पुलिस जवानों ने भी राजकुमारी की मदद की.

कटनी में तो पुलिस जवान ने एक घायल महिला को छत्तीसगढ़ के बिलासपुर तक पहुंचाने के लिए वाहन का इंतजाम किया. उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में राकेश कोत्रे नौकरी करते हैं और वे निवासी हैं बिलासपुर के. उनकी पत्नी रामेश्वरी का पैर टूट गया और उस पर प्लास्टर चढ़ा है. इस स्थिति में राकेश हाथ गाड़ी पर ही रामेश्वरी व दो बच्चों को लेकर बिलासपुर की ओर चल दिए. जब वे कटनी से गुजर रहे थे तभी माधव नगर थाने के आरक्षक बृजेंद्र तिवारी ने उन्हें देखा. बाद में कोत्रे परिवार को बिलासपुर तक भेजने के लिए वाहन उपलब्ध कराया.

ये वे चंद घटनाएं हैं जो पुलिस के मानवीय चेहरे को सामने लाने वाली हैं. उसके ये कार्य उस छवि से ठीक उलट हैं जो उसकी कड़क तस्वीर सबके मन में बनी हुई है.

Source : News Nation Bureau

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