मप्र : टिकट वितरण में राजनीतिक दलों ने आधी आबादी को किया दरकिनार

देश के सभी राजनीतिक दल आधी आबादी यानी महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने की बात तो करते हैं, लेकिन चुनाव में जब टिकट देने की बारी आती है तो वे उन्हें दरकिनार कर देते हैं. मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए टिकट वितरण में ऐसी ही कुछ स्थिति है.

देश के सभी राजनीतिक दल आधी आबादी यानी महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने की बात तो करते हैं, लेकिन चुनाव में जब टिकट देने की बारी आती है तो वे उन्हें दरकिनार कर देते हैं. मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए टिकट वितरण में ऐसी ही कुछ स्थिति है.

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Yogendra Mishra
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मप्र : टिकट वितरण में राजनीतिक दलों ने आधी आबादी को किया दरकिनार

प्रतीकात्मक फोटो

देश के सभी राजनीतिक दल आधी आबादी यानी महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने की बात तो करते हैं, लेकिन चुनाव में जब टिकट देने की बारी आती है तो वे उन्हें दरकिनार कर देते हैं. मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए टिकट वितरण में ऐसी ही कुछ स्थिति है. राज्य के 29 संसदीय क्षेत्रों में से कांग्रेस ने पांच (17.24 प्रतिशत) और भाजपा ने चार (13.79 प्रतिशत) महिलाओं को उम्मीदवार बनाए हैं.

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राज्य में बीते 15 सालों से भाजपा की सत्ता रही और अब कांग्रेस सत्ता में है. दोनों ही दल लगातार महिलाओं को समाज में बराबरी की हिस्सेदारी देने की वकालत करते रहे हैं. बीते चुनाव में राज्य से पांच महिलाएं संसद के लिए निर्वाचित हुई थीं. सीधी से रीति पाठक, विदिशा से सुषमा स्वराज, इंदौर से सुमित्रा महाजन, बैतूल से ज्योति धुर्वे और धार से सावित्री ठाकुर को प्रदेश की जनता ने चुनकर संसद भेजा था. इस बार इन पांच सांसदों में से सिर्फ रीति पाठक ही चुनाव मैदान में हैं.

उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, राज्य में सवा पांच करोड़ से ज्यादा मतदाता हैं. इनमें महिला मतदाताओं की संख्या 2,46,23,623 और पुरुष मतदाताओं की संख्या 2,68,42,970 है. यानी राज्य में पुरुष और महिला मतदाता लगभग बराबर हैं. लेकिन लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारी के सवाल पर मात्र नौ महिलाओं को ही टिकट मिल पाया है.

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राज्य में 29 लोकसभा क्षेत्र हैं. पिछले आम चुनाव में भाजपा ने 27 सीटें जीती थी और इसमें पांच महिलाएं शामिल थीं. कांग्रेस ने दो सीटों पर जीत दर्ज की थी. बाद में रतलाम संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी.

इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस ने कुल नौ महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. भाजपा ने भिंड से संध्या राय, सीधी से रीति पाठक, शहडोल से हिमाद्री सिंह और भोपाल से साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को मैदान में उतारा है. वहीं कांग्रेस ने खजुराहो से कविता सिंह, टीकमगढ़ से किरण अहिरवार, शहडोल से प्रमिला सिंह, राजगढ़ से मोना सुस्तानी और मंदसौर से मीनाक्षी नटराजन को उम्मीदवार बनाया है. यह स्थिति तब है, जब कांग्रेस ने बाकायदा अपने घोषणा-पत्र में महिलाओं को 33 प्रतिशत प्रतिनिधित्व देने का वादा किया है.

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा कहते हैं, "कांग्रेस ने हमेशा महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने की पैरवी की है. कांग्रेस 33 प्रतिशत आरक्षण का विधेयक पारित कराना चाहती है. विधेयक पारित होने पर 33 प्रतिशत स्थान लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगे. फिर हर दल की बाध्यता होगी कि वह महिलाओं को उम्मीदवार बनाए."

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सामाजिक कार्यकर्ता सीमा रवंदले का कहना है, "महिलाओं को आरक्षण दिए जाने की बात कहकर वोट हासिल करना आसान होता है, लिहाजा राजनीतिक दल चुनाव के समय इसे मुद्दा बनाते हैं. महिलाएं उनके वादों में उलझकर उनके पक्ष में मतदान कर देती हैं. शहरी क्षेत्र की महिलाएं तो चुनाव लड़ने का सपना संजो लेती हैं, मगर ग्रामीण महिलाओं की जरूरतें कुछ और होती हैं. भले ही महिलाएं कागज पर सरपंच बन गई हों, मगर सरपंची तो उनके पति ही चलाते हैं."

खास बात यह कि भाजपा से मौजूदा चार महिला सांसद इस बार उम्मीदवार नहीं हैं. इनमें इंदौर से सुमित्रा महाजन को 75 साल की उम्र के कारण टिकट नहीं दिया गया, तो दूसरी ओर विदिशा से सुषमा स्वराज ने स्वास्थ्य के चलते चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया. वहीं दो अन्य सांसदों बैतूल से ज्योति धुर्वे व धार से सावित्री ठाकुर का टिकट स्थानीय विरोध के चलते काट दिया गया है.

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भाजपा की राज्य इकाई के मुख्य प्रवक्ता डॉ. दीपक विजयवर्गीय का कहना है, "चुनाव में जीत पहली प्राथमिकता होती है. जो उम्मीदवार चुनाव जीतने की स्थिति में है, पार्टी उन्हें उम्मीदवार बनाती है. भाजपा एक मात्र ऐसा दल है, जिसने चुनाव के लिए उम्मीदवार चयन समिति में महिला मोर्चा की अध्यक्ष को सदस्य बनाया है. महिला मोर्चा की राय ली जाती है, उसी के बाद सक्षम उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारा जाता है. जहां सक्षम महिलाएं सामने आईं, वहां भाजपा ने उन्हें उम्मीदवार बनाया."

राज्य में शहडोल एक ऐसा संसदीय क्षेत्र है, जहां भाजपा और कांग्रेस दोनों ने महिला उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. भाजपा ने हिमाद्री सिंह को उम्मीदवार बनाया है, जो हाल ही में कांग्रेस छोड़ भाजपा से जुड़ गई हैं. वहीं कांग्रेस ने प्रमिला सिंह को मैदान में उतारा है. प्रमिला सिंह ने विधानसभा चुनाव से पहले दल बदल किया था.

अब देखना यह कि राज्य की इन नौ महिला उम्मीदवारों में से कितनी जीत कर संसद पहुंच पाती हैं. इसका पता 23 मई को ही चलेगा.

Source : IANS

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