समाप्त होने के कगार पर पहुंचीं 40 नदियों को पुनर्जीवित करेगी कमलनाथ सरकार

मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार जल संरक्षण की दिशा में खास प्रयास कर रही है.

मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार जल संरक्षण की दिशा में खास प्रयास कर रही है.

author-image
Dalchand Kumar
New Update
समाप्त होने के कगार पर पहुंचीं 40 नदियों को पुनर्जीवित करेगी कमलनाथ सरकार

फाइल फोटो

मध्य प्रदेश में बीते कुछ सालों में तीन सैकड़ा से अधिक नदियों का अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर पहुंच चुका है. इन नदियों में पानी बहुत कम समय ही नजर आता है. इन्हीं में से 40 नदियों को राज्य सरकार ने पुनर्जीवित करने के लिए चुना है. मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार जल संरक्षण की दिशा में खास प्रयास कर रही है. सरकार ने राज्य में हर व्यक्ति को पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पानी का अधिकार कानून लागू करने का निर्णय लिया है. इस कानून के प्रारूप को अंतिम रूप दिया जा रहा है.

Advertisment

यह भी पढ़ेंः रेत खनन पर कमलनाथ के मंत्री और विधायक आमने-सामने, किसी ने आरोप तो किसी ने दी नसीहत

वहीं दूसरी ओर सरकार ने वर्षा और भू-जल सरंक्षण को भी बढ़ावा देने की मुहिम तेज कर दी है. इस काम में जल संसाधन, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, कृषि विभाग आदि को लगाया गया है, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को सौंपी गई है. राज्य के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल का कहना है कि पारम्परिक जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करने की कार्ययोजना तैयार की गई है. जहां तक नदियों की बात है तो मानसून के समय महज चार माह ही पानी का प्रवाह रहता है, लेकिन वर्षा काल के बाद यह प्रवाह जल्द ही समाप्त हो जाता है. इस प्रवाह को वर्ष भर बनाए रखने के लिए 'नदी पुनर्जीवन' कार्यक्रम तैयार किया गया है.

सरकारी सूत्रों के अनुसार, छिंदवाड़ा, नीमच, आगर-मालवा, अलिराजपुर, छतरपुर, सिवनी, शहडोल, श्योपुर सहित राज्य के 36 जिलों की 40 नदियों का चयन किया गया है. इन नदियों की कुल लंबाई 2,192 किलोमीटर है और कैचमेंट एरिया दो लाख हेक्टेयर से अधिक है. ये नदियां 1863 ग्राम पंचायतों के 3621 गांवों से होकर गुजरती हैं. औसतन एक नदी का कैचमेंट एरिया 55 किलोमीटर है. राज्य सरकार द्वारा नदी पुनर्जीवन को लेकर तैयार की गई परियोजना के मुताबिक, नदी कैचमेंट एरिया में कुएं, तालाब, बावड़िया और हैंडपंप रिचार्ज हो जाएंगे. साथ ही इन जल स्त्रोतों के प्रति सामाजिक भागीदारी बढ़ेगी, परम्परागत जलस्त्रोतों के प्रति संवेदनशीलता व आस्था में वृद्धि होगी. वहीं मिट्टी का कटाव रुकने के साथ ही मिट्टी में नमी बढ़ेगी, जो फसल उत्पादन में सहायक होगी. 

यह भी पढ़ेंः मध्य प्रदेश में आज से 313 बाल शिक्षा केंद्रों की शुरुआत, मिलेंगी नर्सरी स्कूलों जैसी शिक्षा और सुविधा

योजना के मुताबिक, जल संरक्षण के लिए सभी कार्य मनरेगा के तहत कराए जाएंगे. इससे जहां ग्रामीणों को रोजगार के अवसर मिलेंगे, वहीं निर्माण कार्य के प्रति स्थानीय लोगों में अपनेपन का भाव भी पैदा होगा. जल संरक्षण के लिए तालाब, खेत तालाब, मेंढ़ बंधान, चैक डेम अथवा स्टाप डेम आदि का निर्माण कराया जाएगा. 

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शोध छात्र और बुंदेलखंड में जल संरक्षण के लिए काम करने वाले राम बाबू तिवारी का कहना है कि नदियों और स्थाई जल संरचनाओं का गुम होना ही जल संकट का बड़ा कारण है. बुंदेलखंड में कभी हजारों तालाब, कुंए और बाबड़ियां हुआ करती थीं, मगर उनमें से अधिकांश गुम हो गए हैं. इस इलाके में जल संकट गहराने लगा और देश के सबसे समस्या ग्रस्त क्षेत्र में इस इलाके का नाम आ गया है. उन्होंने आगे कहा कि मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य की 40 नदियों को पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया है, वास्तव में यह संकल्प धरातल पर उतरा तो हालात बदलना आसान होगा. पुराने अनुभव बताते हैं कि सरकार की योजनाएं कागजों तक ही सिमट कर रह गई हैं.

यह वीडियो देखेंः 

madhya-pradesh CM Kamal Nath Madhya Pradesh River
      
Advertisment