मध्य प्रदेश : 3000 हजार करोड़ के ई-टेंडरिंग घोटाले में फंसे 5 विभागों के अधिकारी, कंपनियों पर भी केस दर्ज
ईओडब्ल्यू ने पांच विभागों, सात कंपनियों और अज्ञात अधिकारियों के साथ-साथ राजनेताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया है
नई दिल्ली:
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में आयकर विभाग की कार्रवाई के बाद राज्य के ई-टेंडरिंग मामले में कंप्यूटर इमर्जेसी रेस्पॉन्स टीम (सीईआरटी) की रिपोर्ट में गड़बडी की बात सामने आने पर आर्थिक अन्वेषण शाखा (ईओडब्ल्यू) ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है. ईओडब्ल्यू ने धोखाधड़ी, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत केस दर्ज किया है.
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सूत्रों के अनुसार, ई-टेंडरिंग में लगभग 3000 करोड़ रुपये से ज्यादा के घोटाले की आशंका है और कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के दौरान अपने घोषणापत्र में ई-टेंडरिंग घोटाले की जांच कराने और दोषियों को सजा दिलाने का वादा किया था. इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू के पास थी. इस मामले में ईओडब्ल्यू ने सीईआरटी की मदद ली और सीईआरटी ने अपनी रिपोर्ट में यह बात मानी है कि ई-टेंडरिंग में छेड़छाड़ हुई है. इसी रिपोर्ट के आधार पर ईओडब्ल्यू ने पांच विभागों, सात कंपनियों और अज्ञात अधिकारियों के साथ-साथ राजनेताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया है.
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ईओडब्ल्यू की ओर से आधिकारिक तौर पर दी गई जानकारी के अनुसार, लगभग 3000 करोड़ रुपये के ई-टेंडरिंग घोटाले में साक्ष्य और तकनीकी जांच में पाया गया है कि ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल में छेड़छाड़ कर जल निगम के तीन, लोक निर्माण विभाग के दो, जल संसाधन विभाग के दो, मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम के एक और लोक निर्माण की पीआईयू के एक टेंडर कुल मिलाकर 9 टेंडर में सॉफ्टवेयर के जरिए छेड़छाड़ की गई. इसके जरिए 9 कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया है.
ईओडब्ल्यू के महानिदेशक केएन तिवारी ने बताया कि सीईआरटी की रिपोर्ट आने के बाद आईपीसी की धारा 420,468,471, 120बी, और 66 आईटी एक्ट, 7 सी और प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 2018 की धारा 13 (दो) के तहत केस दर्ज किया गया है.
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केएन तिवारी के अनुसार, ईओडब्ल्यू ने 5 विभागों, 9 कंपनियों और अज्ञात अफसरों व राजनेताओं के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है. इन मामलों में 50 से ज्यादा अधिकारियों के चपेट में आने की संभावना है. साथ ही ईओडब्ल्यू इस बात की जांच करेगा कि जिस समय ये निविदाएं जारी की गईं, उस समय ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल से जुड़े अधिकारी कौन-कौन थे.
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