भोपाल में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में थामा लोगों ने एक-दूसरे का हाथ
मध्य प्रदेश में कोरोना के खिलाफ आमजन भी पूरी ताकत और क्षमता से लड़ाई लड़े जा रहे है, कोरोना के संक्रमण को रोकने के हर संभव प्रयास करने के साथ जरुरतमंदों के साथ खड़े है.
भोपाल:
मध्य प्रदेश में कोरोना के खिलाफ आमजन भी पूरी ताकत और क्षमता से लड़ाई लड़े जा रहे है, कोरोना के संक्रमण को रोकने के हर संभव प्रयास करने के साथ जरुरतमंदों के साथ खड़े है. राजधानी के बैरसिया क्षेत्र में तो लोगों ने अपनी कॉलोनी में बाहरी लोगों की आवाजाही तो बंद कर ही दी है साथ में वैक्सीनेशन के लिए प्रोत्साहित कर रहे है. इसके साथ ही पुस्तकालय की स्थापना कर लोगों को बेहतर किताबें मुहैया करा रहे है. राजधानी में लगातार कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है. इसके चलते अब बैरसिया रोड़ स्थित वार्ड 78 की पारस नगर कालोनी में समाजसेवी संस्था कादम्बिनी शिक्षा एवं समाज कल्याण सेवा समिति ने मोहल्ला कर्फ्यू (जनता कर्फ्यू) लगाया गया है. यहां कॉलोनी में बाहर से आने-जाने वालों के लिये पूर्णत: प्रवेश बंद कर दिया है. कालोनी वासियों ने स्वयं कादम्बिनी ग्रुप भी बनाया है जिसमें 150 से अधिक लोग जुड़े है जो समय-समय पर आवश्यकता पड़ने पर एक-दूसरे और कॉलोनी के वरिष्ठजनों की मदद कर रहें है.
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संस्था के अध्यक्ष दिनेश शर्मा एवं सुमित मिश्रा ने बताया कि कालोनी का कोई भी सदस्य जब तक अति आवश्यक काम न हो वह भी बाहर नहीं जाता है, और प्रतिदिन ग्रुप के माध्यम से एक दूसरे से सम्पर्क बना कर हाल-चाल जानते है. परिसर में अगर किसी व्यक्ति को अस्पताल या इमरजेंसी जैसी जरूरत पड़ती है तो सार्थक एप से अस्पताल में बेड या ऑक्सीजन के बारे में जानकारी लेकर तत्काल मदद करते हैं. कालोनी में सप्ताह में एक बार सेनेटाइजेशन भी करवाया जाता है, और साफ- सफाई के अलावा सभी सदस्यों की स्वास्थ्य हिस्ट्री भी रजिस्टर में दर्ज की जाती है.
कालोनी में 70 प्रतिशत लोगों को कोरोना का प्रथम टीका कालोनी में ही वैक्सिनेशन शिविर आयोजित कर लगवाया गया है. इसमें आंगनबाड़ी-आशा कार्यकर्ता भी पूर्ण सहयोग कर रही है. सप्ताह में एक बार घर-घर जाकर स्वास्थ्य के बारे में भी जानकारी ली जाती है. आवश्यकता पड़ने पर संस्था के सदस्य रहवासियों को दवाई भी उपलब्ध कराते हैं.
कादम्बिनी शिक्षा समिति ने एक लाइब्रेरी भी बनाई है जिसमें 200 से अधिक धार्मिक और अच्छे साहित्य की पुस्तकें है. कोरोना काल में अपने आप को शांत तथा स्थिर रखने के लिए वरिष्ठ, वृद्धजनों को साहित्य और धार्मिक पुस्तकें भी घर-घर पहुंचाई जा रही है. साथ ही पढ़ने के बाद यह पुस्तक वापस लेकर अन्य पुस्तकों को पहुंचाया जाता है.
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