मोदी घोषणा और निर्णय से पहले सोचते नहीं: दिग्विजय सिंह

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि मोदी घोषणा करने और निर्णय लेने से पहले सोचते नहीं है.

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि मोदी घोषणा करने और निर्णय लेने से पहले सोचते नहीं है.

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Vineeta Mandal
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Digvijay Singh ( Photo Credit : फाइल फोटो)

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि मोदी घोषणा करने और निर्णय लेने से पहले सोचते नहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने ट्वीट कर कहा है, '' मोदी जी घोषणा करने व निर्णय लेने के पहले सोचते नहीं हैं. चाहे नोटबंदी हो या जीएसटी को लागू करना हो. कोरोना को पेंडमिक डिक्लेयर करने के साथ उसे डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के अंतर्गत राष्ट्रीय आपदा घोषित कर दिया और कोरोना से मृत्यु होने पर हर परिवार को चार लाख रुपये देने का वादा कर दिया.''

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कांग्रेस नेता ने आगे कहा, '' घोषणा करने के कुछ समय के बाद ही मृत परिवार को चार लाख रुपये देने का प्रावधान ही हटा दिया. बहाना क्या है? शासन के पास धन की कमी है. प्रधानमंत्री व उप राष्ट्रपति के आलीशान भवन सेंट्रल विस्टा व नए संसद भवन बनाने के लिए हजारों करोड़ हैं, लेकिन कोरोना से मृत परिवारों के लिए नहीं है ? ''

पूर्व मुख्यमंत्री ने सर्वोच्च न्यायालय से संवेदनशीलता का परिचय देने की उम्मीद जताते हुए कहा, '' मुझे उम्मीद है माननीय उच्चतम न्यायालय इस गंभीर मानवीय पहलू पर संवेदनशीलता का परिचय देते हुए निर्णय करेंगे. जिन परिवारों ने बीमारी का बीमा भी कराया है, उनके क्लेम भी पात्रता अनुसार तीन माह में पूरे कराएं. ऐसे प्रकरणों में कोरोना की बीमारी को विशेष तौर पर रेटरोस्पेक्टिव एफेक्ट से शामिल कर लागू करें. इनमे से मृतक के परिवारों को चार लाख का मुआवजा दें. जिन परिवार जनों ने जीवन बीमा कराया है उनके सारे क्लेम तीन माह में तय करे.''

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा-

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि कर राजस्व में कमी और कोरोनोवायरस महामारी के कारण स्वास्थ्य खर्च में हो रही वृद्धि के चलते केंद्र पर वित्त का बड़ा दबाव है. ऐसे में कोरोना से मरने वाले सभी लोगों को 4 लाख रुपये का मुआवजा नहीं दिया जा सकता है क्योंकि इससे आपदा राहत कोष पूरी तरह से खत्म हो जाएगा. इससे आने वाले समय में कोरोना की अन्य लहरों से निपटने के लिए की जा रही तैयारियां भी प्रभावित होंगी.

गृह मंत्रालय की ओर से जमा किए गए हलफनामे में कहा गया है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत 12 अधिसूचित आपदाओं के लिए अनुग्रह राहत राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) के माध्यम से प्रदान की जाती है . वर्ष 2021-22 के लिए एसडीआरएफ का वार्षिक आवंटन सभी राज्यों के लिए संयुक्त रूप से 22,184 करोड़ रुपये है इसलिए यदि कोविड-19 के कारण जान गंवाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी जाती है, तो संभवत: एसडीआरएफ की पूरी राशि अकेले इस पर खर्च हो जाएगी और शायद आगे इसमें और भी इजाफा हो.

Source : IANS

      
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