कर्नाटक संकट के बाद मध्य प्रदेश में भी बढ़ी हलचल, कांग्रेस ने विधायकों को दावत पर बुलाया

विधायकों के लंच से पहले कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और मुख्यमंत्री कमलनाथ ने साथ-साथ लंच किया.

विधायकों के लंच से पहले कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और मुख्यमंत्री कमलनाथ ने साथ-साथ लंच किया.

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Dalchand Kumar
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फाइल फोटो

कर्नाटक और गोवा में सियासी उठापठक के बाद अब मध्य प्रदेश कांग्रेस में भी हलचल बढ़ने लगी है. मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के भोपाल पहुंचते ही हलचल और तेज हो गई है. सिंधिया एयरपोर्ट से समर्थकों के साथ विधानसभा पहुंचे, जहां उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और फिर उसके बाद सीएम कमलनाथ के साथ लंच पर लंबी चर्चा भी की. अब सिंधिया समर्थक मंत्री तुलसी सिलावट के घर पर सभी 121 विधायकों का डिनर आयोजित किया गया है. इस दावत में कांग्रेस के 114 विधायक, कांग्रेस को समर्थन देने वाले पांच विधायक, समाजवादी पार्टी के दो विधायक और बीएसपी की एक विधायक को बुलाया गया है. सिंधिया के अलावा मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की मौजूदगी में दावत होगी.

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डिनर आयोजित करने वाले स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने दावा किया कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की मौजूदगी में कांग्रेस सरकार की स्थिरता और एकता पर बात होगी. विधायकों के लंच से पहले कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और मुख्यमंत्री कमलनाथ ने साथ-साथ लंच किया. बताया जा रहा है कि लंच के दौरान दोनों नेताओं के बीच विधायकों के साथ डिनर मीटिंग का एजेंडा बनाया गया है. इसके अलावा लंच पर मंत्री तुलसी सिलावट और इमरती देवी भी साथ में मौजूद रहे.

गौरतलब है कि कमलनाथ मंत्रिमंडल में बदलाव की चर्चाओं के बीच बीते समय में सिंधिया से करीबी रखने वाले छह मंत्री भोज के बहाने दो दौर की बैठकें कर चुके हैं. एक बैठक मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया के निवास पर हुई, जिसमें सभी पहुंचे थे. दूसरी बैठक परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के निवास पर हुई, जिसमें सिसौदिया को छोड़कर शेष पांच मंत्री पहुंचे थे. उस वक्त जिस तरह से मध्य प्रदेश कांग्रेस के अंदर घमासान देखने को मिला था, वो कहीं न कहीं पार्टी नेतृत्व के लिए चिंता का विषय है.

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यही कारण माना जा रहा है कि सिंधिया के अलावा मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की मौजूदगी में यह दावत विधायकों को दी जा रही है. कर्नाटक और गोवा में जैसे राजनीतिक संकट बने हुए हैं, ऐसे में मध्य प्रदेश में भी हालात खराब न हों इसीलिए विधायकों को दावत पर बुलाया गया है. विधायकों में एकता बनी रही और किसी तरह का अविश्वास पैदा न हो, एक यह भी दावत के पीछे की वजह मानी जा रही हैं.

बता दें कि राज्य में लगभग छह महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में 230 सीटों में से 114 पर कांग्रेस, 109 पर बीजेपी, दो पर बसपा और एक पर सपा ने जीत दर्ज की थी. वहीं चार स्थानों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे. वर्तमान में कांग्रेस की सरकार सपा, बसपा और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से चल रही है.

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