मध्य प्रदेश की बिगड़ैल नौकरशाही को सुधारने की हो रही कवायद

तीन बड़े अफसरों पर गिरी गाज ने इतना तो साफ कर दिया है कि आने वाले दिन मनमर्जी के मालिक अफसरों के लिए अच्छे नहीं रहने वाले.

तीन बड़े अफसरों पर गिरी गाज ने इतना तो साफ कर दिया है कि आने वाले दिन मनमर्जी के मालिक अफसरों के लिए अच्छे नहीं रहने वाले.

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yogesh bhadauriya
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सीएम कमलनाथ( Photo Credit : News State)

मध्य प्रदेश की बिगड़ैल नौकरशाही हमेशा चर्चा में रही है. राज्य में सत्ता बदलाव के बाद बेलगाम होती नजर आ रही नौकरशाही की लगाम कसने की मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कवायद तेज कर दी है. तीन बड़े अफसरों पर गिरी गाज ने इतना तो साफ कर दिया है कि आने वाले दिन मनमर्जी के मालिक अफसरों के लिए अच्छे नहीं रहने वाले. राज्य में हावी अफसरशाही का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि पंचायत विभाग की अपर मुख्य सचिव गौरी सिंह ने विभागीय मंत्री और मुख्यमंत्री से चर्चा किए बगैर ही पंचायतों के परिसीमन की प्रक्रिया शुरू कर दी. इस पर पंचायत मंत्री कमलेश्वर पटेल ने मुख्यमंत्री कमलनाथ के सामने हैरानी जताई थी, और उसके बाद इस पूरी प्रक्रिया को स्थगित कर दिया गया.

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मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इसे गंभीरता से लिया, और पंचायत विभाग की अपर मुख्य सचिव गौरी सिंह को हटा दिया. मुख्यमंत्री ने इसके बाद वाणिज्यकर विभाग के सचिव मनु श्रीवास्तव को हटाया. इतना ही नहीं इंदौर के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक वरुण कपूर पर भी गाज गिरी. सप्ताह भर के भीतर हुईं ये तीन कार्रवाइयां संकेत दे रही हैं कि आने वाले दिनों में उन अफसरों पर भी गाज गिर सकती है, जिनकी कार्यशैली सरकार के अनुरूप नहीं है.

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मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंगलवार को मंत्रालय में आयोजित जन अधिकार कार्यक्रम में स्पष्ट तौर पर बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मंशा जाहिर की. उन्होंने कहा, "अब जवाबदेही निचले स्तर पर नहीं, बल्कि उच्चस्तर पर तय होगी. जो अधिकारी जनता के कामों में लापरवाही बरतेंगे, उनपर कार्रवाई तय है."

दरअसल, अफसरशाही की मनमानी से आमजन के बीच यही संदेश गया कि राज्य में सरकार भले ही बदल गई है, मगर व्यवस्था में बड़ा बदलाव नहीं आया है. कांग्रेस के नेताओं ने भी अफसरशाही पर सवाल उठाए हैं और निचले स्तर से कांग्रेस कार्यकर्ताओं की शिकायतें आईं कि अफसर अब भी भाजपा नेताओं को ज्यादा महत्व दे रहे हैं. मुख्यमंत्री कमलनाथ को सत्ता में एक साल होने वाला है. इस दौरान आईएएस और आईपीएस अफसरों के बड़े पैमाने पर तबादले किए गए, मगर जमीनी स्तर पर सत्ता और व्यवस्था में बदलाव नजर नहीं आ रहा है.

भाजपा ने अलबत्ता बड़े पैमाने पर हुए तबादलों को लेकर सरकार पर तबादला उद्योग चलाने तक के आरोप लगा दिए थे. इतना ही नहीं सुबह तबादला और शाम को होने वाले संशोधनों ने सरकारी मशीनरी और सरकार को ही कटघरे में खड़ा कर दिया था.

राजनीतिक विश्लेषक साजी थामस के अनुसार, राज्य में सरकार बदली है, तो आमजन को बदलाव नजर आना चाहिए. लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है. सरकार फैसले ले रही है, मगर जमीनी स्तर पर इन फैसलों का असर नहीं दिख रहा है. यह किसी भी सरकार के लिए िंचंता का विषय हो सकता है. बीते 15 साल से जो अधिकारी प्रमुख पदों पर हैं, उनकी कार्यशैली पूर्व की तरह ही चल रही है. लिहाजा सरकार को स्थितियां सुधारने के लिए बड़े और कड़े फैसले लेने होंगे.

Source : News Nation Bureau

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