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MP Bypolls में प्रियंका-राहुल गांधी और सचिन पायलट के प्रचार को लेकर कांग्रेस असमंजस में

मध्य प्रदेश में होने वाले उप-चुनाव (MP Bypolls) का प्रचार जोर पकड़ चुका है और कांग्रेस उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा मांग प्रियंका गांधी, राहुल गांधी और सचिन पायलट की है.

Updated on: 16 Oct 2020, 01:47 PM

भोपाल:

मध्य प्रदेश में होने वाले उप-चुनाव (MP Bypolls) का प्रचार जोर पकड़ चुका है और कांग्रेस उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा मांग प्रियंका गांधी, राहुल गांधी और सचिन पायलट की है. पार्टी अभी तक इन नेताओं के दौरों का कार्यक्रम तय नहीं कर पाई है और असमंजस में है कि आखिर इन नेताओं को प्रचार में उतारा जाए या नहीं.

राज्य में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं इनमें 25 सीटें ऐसी हैं जहां के कांग्रेस विधायकों ने अपनी सदस्यता से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थामा था और अब वे बीजेपी के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में है. वहीं तीन स्थानों पर विधायकों के निधन के कारण उपचुनाव हो रहा है.

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यह उप-चुनाव दोनों ही राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण है और कांग्रेस बड़ी जीत दर्ज कर सत्ता में वापसी का सपना संजोए हुए है. पार्टी ने स्टार प्रचारकों की जो सूची जारी की है उसमें प्रियंका गांधी, राहुल गांधी और सचिन पायलट के नाम हैं. इन तीनों नेताओं की राज्य में सबसे ज्यादा मांग कांग्रेस के उम्मीदवार कर रहे हैं. अब से पहले तक राहुल गांधी मध्य प्रदेश के चुनाव में सक्रिय भागीदारी निभा चुके हैं जबकि प्रियंका गांधी की सक्रियता कम ही रही है और सचिन पायलट के सीमित दौरे हुए हैं, मगर इस उपचुनाव में तीनों की मांग सबसे ज्यादा है.

पार्टी सूत्रों का कहना है कि पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची में तीनों नेताओं के नाम हैं और उम्मीदवार भी इनकी मांग कर रहे हैं. राज्य में ग्वालियर-चंबल इलाके की कई विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां गुर्जर मतदाताओं का प्रभाव है इसीलिए सचिन पायलट की भी मांग है. पार्टी राहुल गांधी और सचिन पायलट के प्रचार में उतारने पर किसी भी तरह के असमंजस में नहीं है, मगर प्रियंका गांधी को लेकर असमंजस बना हुआ है. ऐसा इसलिए क्योंकि अगर चुनाव में हार होती है तो विपक्षी दल इसे प्रियंका की लोकप्रियता से जोड़कर प्रचारित करेगा.

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वहीं कुछ लोगों का मानना है कि कांग्रेस के तीनों युवा नेताओं की उप-चुनाव में ज्यादा सक्रियता नजर नहीं आने वाली क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया भले ही कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए हों, इन नेताओं की सिंधिया से राजनीतिक तौर पर दूरी बढ़ गई हो, मगर खुले तौर पर सभी एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा नहीं खोलना चाहते. इसलिए इन नेताओं के दौरों के कार्यकम को अंतिम रुप नहीं दिया जा रहा है. बीते छह माह के सियासी हाल पर गौर करें तो सिंधिया ने भी कांग्रेस के तीनों नेताओं और तीनों नेताओं ने सिंधिया पर हमला नहीं बोला है.

राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटेरिया का मानना है कि कांग्रेस कभी भी गांधी परिवार के मामले में जोखिम नहीं लेती, इस परिवार के प्रतिनिधियों को उन्हीं क्षेत्रों में प्रचार के लिए भेजा जाता है जहां जीत की संभावना ज्यादा होती है. इसलिए राहुल व प्रियंका को लेकर असमंजस है. दूसरी ओर सचिन पायलट और सिंधिया की दोस्ती जग जाहिर है. इस स्थिति में कांग्रेस ग्वालियर-चंबल इलाके में पायलट का उपयोग करने के साथ यह कोशिश करेगी कि दोनों में दूरी बढ़े और पायलट उनके ही गढ़ में आकर सिंधिया को ललकारें.