कोवैक्सीन ट्रायल विवादों में घिरा, आरोप है कि भोपाल गैस पीड़ितों को धोखे से लगाई वैक्सीन
कोरोना वैक्सीन को लेकर भारत बायोटेक फिर विवादों में घिर गई है. कंपनी पर आरोप लग रहा है कि उन्होंने बिना कोई जानकारी दिए ही भोपाल पीड़ितों पर कोरोना वैक्सीन का ट्रायल किया है.
भोपाल:
कोरोना वैक्सीन को लेकर भारत बायोटेक फिर विवादों में घिर गई है. कंपनी पर आरोप लग रहा है कि उन्होंने बिना कोई जानकारी दिए ही भोपाल पीड़ितों पर कोरोना वैक्सीन का ट्रायल किया है. सोशल मीडिया पर भारत बायोटेक का लोग विरोध करते हुई कई सवाल उठा रहे हैं. इन सभी आरोप पर कंपनी के फाउंडर और चेयरमैन कृष्णा एला ने सफाई भी पेश की थी. बता दें कि बायोटेक की कोवैक्सीन को भारत सरकार ने इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए इजाजत दे दिया है. इसके बाद पीपुल्स यूनिवर्सिटी स्वदेशी वैक्सीन भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के तीसरे फेज का ट्रायल कर रही है.
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दरअसल, भोपाल गैस पीड़ितों के लिए काम कर रही एक्टिविस्ट रचना धींगरा ने ट्विट करते हुए आरोप लगा है कि पीड़ितों को 750 रुये का लुभावना ऑफर देकर उन्हें वैक्सीन ट्रायल के लिए ले जाया जा रहा है. इसके साथ ही ट्रायल में शामिल लोगों को सहमति पत्र की कॉपी नहीं दी गई थी.
3rd Phase #Covaxine trial taking place in Bhopal hasviolated every rule in d book
— Rachna Dhingra (@RachnaDhingra) January 3, 2021
Poor & vulnerable residents of gas
affected communities r herded by d People's 🏥 with a promise of Rs750. No copy of informed consent is being given 2 d participants @CDSCO_INDIA_INF pic.twitter.com/dsb9u8L77T
रचना ने एक वीडियो भी शेयर किया है. इसमें युवक अपने साथ हुई आपबीती के बारे में बता रहा है. युवक ने कहा, 'हमें 3 दिसंबर को टीका लगाया गया. उन लोगों ने कहा था कि आपको कुछ भी होगा तो उसका इलाज़ हम करेंगे. उन्होंने पर्ची पर दवाई लिख के दी और ये दवाई हमने बाहर की दुकान से अपने पैसे से ली. 3 जनवरी को दूसरी बार बुलाया गया था. लेकिन उन्होंने कोई इंजेक्शन नहीं दी. टीका लगाने के बाद मोहल्ले में कई लोगों को उल्टी, रीढ़ की हड्डियों में दर्द आदि जैसी दिक्कतें आ रही हैं.'
When a participant experiences an adverse event they call up d hospital who asks them to come in and then they r prescribed medicines & investigations where the participant is expected to foot the bill. Things cannot get any worse than this. @CDSCO_INDIA_INF pic.twitter.com/AXqOestmXM
— Rachna Dhingra (@RachnaDhingra) January 3, 2021
पीपल्स यूनिवर्सिटी ने इस पर सफाई देते हुए कहा, 'महामारी काल में रचना बेबुनियाद आरोप लगा रही हैं. ट्रायल वैक्सीन के लिए लोगों की सहमति ली गई थी और इसमें समाज के सभी वर्ग के लोग शामिल थे. किसी भी गैस पीड़ित पर ट्रायल वैक्सीन नहीं किया गया है. सिर्फ कोविड नेगेटिव वालंटियर्स को ही ट्रायल वैक्सीन दी गई है. 750 रुपये दैनिक भत्ता के रूप में इन लोगों को दिया गया था.' उन्होंने इसके साथ ही एक वीडियो भी शेयर किया है.
It is shocking, in this pandemic time people are making baseless allegations. W.r.t @RachnaDhingra 's tweets the rebuttal is as follows :- 1. All participants were volunteers who consented for this trial & represent various sections of society & professions. @CDSCO_INDIA_INF
— People's University Bhopal (@Uni_Peoples) January 4, 2021
W.r.t @RachnaDhingra 's tweet, the rebuttal:-
— People's University Bhopal (@Uni_Peoples) January 4, 2021
The video posted by Ms. Dhingra appears to be fabricated the factual narrative of the volunteer is below- @CDSCO_INDIA_INF pic.twitter.com/Qcqsexwxt3
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