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राजगढ़ का मामला( Photo Credit : News State)
एक तरफ जहां कोरोना वायरस जैसी महामारी ने पूरे भारत में अफर-तफरी का माहौल बना दिया है वहीं ऐसे माहौल में प्रशासन की नोकझोंक भी देखने को मिल रही है. राजगढ़ जिला कलेक्टर और डॉक्टरों के बीच की तनातनी इतना बड़ा रूप ले गई कि जिले भर के डॉक्टर लामबंद हो गए और सभी जिला भर के डॉक्टरों ने अपने काम को रोक दिया और किसी भी पेशेंट का ट्रीटमेंट करने से मना कर दिया.
बता दें कि राजगढ़ जिले की अनीता बाई निवासी काशीपुरा के कोरोना वायरस रिपोर्ट आने के बाद महिला को उपचार हेतु जिला चिकित्सालय से भोपाल एम्स के लिए रेफर किया था. जहां पर उपचार के बाद महिला पेशेंट को दोबारा से राजगढ़ पहुंचाया गया लेकिन जब यह महिला पेशेंट और उसके परिजन अस्पताल पहुंचे तो इस महिला को उपचार हेतु ना तो कोई डॉक्टर मिला ना ही किसी ने इनके पास आने तक की जहमत उठाई.
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जिसके बाद जानकारी लगते ही जिलाधीश अस्पताल पहुंचे और अस्पताल पहुंचकर महिला मरीज को ट्रीटमेंट मुहैया कराया गया और इन हालातों को देखकर जिलाधीश महोदय ने महिला मरीज के इलाज में देरी के मामले में राजगढ़ जिला सीएमएचओ के के श्रीवास्तव को जमकर लताड़ लगा दी. जिसको डॉक्टरों ने अपना ईगो पॉइंट बनाते हुए इतना बड़ा मामला बना दिया कि पूरे जिले भर में सभी डॉ लामबंद हो गए और किसी भी मरीज के इलाज से इनकार कर दिया और मांग रखी कि जब तक राजगढ़ कलेक्टर नीरज सिंह को नहीं हटाया जाता तब तक कोई भी डॉक्टर अपने ड्यूटी पर नहीं जाएगा. डॉक्टरों ने कहा कि वह किसी भी मरीज का इलाज नहीं करेंगे. शासन व प्रशासन की इस बिगड़ती व्यवस्था को देखते हुए समाज के अधिकारियों की बैठक हुई जिसके करीब 6 घंटे बाद डॉक्टरों ने फिर से अपनी हड़ताल छोड़ काम पर जाने का निर्णय लिया.
Source : News Nation Bureau