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मुख्यमंत्री कमलनाथ( Photo Credit : News State)
मध्यप्रदेश में एक बार फिर से प्रशासनिक बदइंतजामी के चलते हजारों टन धान भीग कर बर्बाद हो गया. दरअसल बरसात में रखा हजारों टन धान मंडियों में रखे-रखे भीग गया. साथ ही जब तक धान गोदाम में नहीं पहुंचेगा किसान को भुगतान नहीं होगा. धान बेचकर अब किसान सहकारी समतियों के चक्कर लगा रहे हैं. डिंडोरी के शहपुरा में बरगांव धान खरीद केंद्र की तस्वीरेम आईं जहां मैदान में पानी भर गया है जिससे ज्यादातर बोरियां भीग गईं.
इस मामले में तहसीलदार एन एल वर्मा ने कहा मैं जांच कराकर देखता हूं कि कितना नुकसान हुआ है, अभी तक परिवहन का टेंडर नहीं हुआ है, टेंडर खुलेगा तो हो जाएगा. विदिशा में समर्थन मूल्य केन्द्रों पर 10 हजार क्विंटल से ज्यादा खुले आसमान के नीचे पड़ा धान अचानक हुई बारिश से भीग गया, धान की खरीदी शुरू हुए 14 दिन बीत गए. लेकिन अभी तक भंडारण का काम शुरू नहीं हो सका जिसके चलते किसानों को भुगतान नहीं हो पा रहा है. बारिश से गीला हुए धान को वेयरहाउस कार्पोरेशन ने लेने से इंकार कर दिया है.
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राज्य में पिछले दस दिन से करीब पांच सौ खरीदी केन्द्रों पर अब तक 70335 टन धन की खरीदी हुई है. जिसमें सिर्फ 3306 टन धान का ही परिवहन हो पाया है. नियम कहता है कि खरीदी के 48 घंटे के अंदर अनाज का परिवहन होना चाहिये. खरीदी के बाद धान परिवहन सिर्फ 8 जिलों में हुआ है, 42 में परिवहन का काम भी शुरू नहीं हुआ है. प्रदेश के 20 से अधिक जिलों में धान भंडारण करने के लिए पर्याप्त बंद गोदाम नहीं हैं.
सरकार कह रही है किसानों के नुकसान की भरपाई होगी, विपक्ष का आरोप है किसान बदहाल है. कांग्रेस प्रवक्ता शहरयार खान ने कहा किसानों की हितैषी सरकार है जो नुकसान हुआ होगा भरपाई की सरकार कोशिश करेगी. वहीं पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता विश्वास सारंग ने कहा किसान की फसल का 48 घंटे में परिवहन हो जाना चाहिये लेकिन धान भीग गया खराब हो गया, लेकिन मंत्री हों अधिकारी हों सिर्फ भ्रष्टाचार में लगे हुए हैं. इस सबके बीच देश का किसान खुद पर हो रही राजनीति से खुद को दुखी महसूस कर रहे हैं.
Source : News Nation Bureau
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