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मध्य प्रदेश : 7 साल के लम्बे इंतजार के बाद स्कूलों को मिलेंगे 22 हजार नए शिक्षक

इस भर्ती के बाद स्कलूों में शिक्षकों की कमी दूर हो जाएगी. प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 70 हजार शिक्षकों के पद खाली हैं.

Updated on: 31 Dec 2019, 11:18 AM

Bhopal:

मध्य प्रदेश को नए साल 2020 में 22 हजार नए शिक्षक मिलेंगे. 7 साल की लम्बी अवधि के बाद प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती होनी है. इस भर्ती के बाद स्कलूों में शिक्षकों की कमी दूर हो जाएगी. प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 70 हजार शिक्षकों के पद खाली हैं. खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों के स्थानांतरण होने से कई पद रिक्त हो गए हैं.

जारी हुआ विज्ञापन

इसमें उच्च माध्यमिक के साढ़े 5 हजार और माध्यमिक के 17 हजार शिक्षकों की नियुक्ति होगी. स्कूल शिक्षा विभाग ने इस संबंध में विज्ञापन भी जारी कर दिया है. शिक्षकों की काउंसिलिंग और नियुक्ति संबंधी पूरी प्रक्रिया 10 जनवरी को विभाग के पोर्टल पर अपलोड कर दी जाएगी. लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) 10 जनवरी से काउंसिलिंग प्रक्रिया शुरू कर देगा. इस संबंध में विभाग ने नियमावली प्रक्रिया पूरी कर ली है.

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मप्र शिक्षक पात्रता परीक्षा वर्ग-1 और वर्ग-2 में पात्र अभ्यर्थी 10 जनवरी से काउंसिलिंग प्रक्रिया में भाग ले सकेंगे. यह पूरी प्रक्रिया विभाग द्वारा मार्च तक पूरी कर ली जाएगी, ताकि 1 अप्रैल 2020 से नए सत्र से शिक्षक स्कूलों में ज्वॉइन कर शिक्षण कार्य करना शुरू कर दें.

शिक्षक पात्रता परीक्षा वर्ग-1 और वर्ग-2 के रिजल्ट घोषित होने के बाद प्रदेश के करीब 40 हजार पात्र अभ्यर्थी नियुक्ति के इंतजार में हैं. विभाग को दिसंबर से काउंसिलिंग प्रक्रिया शुरू करनी थी, लेकिन देर होने से अभ्यर्थी निराश हो रहे थे. ज्ञात हो कि फरवरी-मार्च में शिक्षक पात्रता परीक्षा वर्ग-1 व 2 की परीक्षा हुई थी. इसके पांच माह बाद 28 अगस्त को वर्ग-1 का और 26 अक्टूबर को वर्ग-2 का रिजल्ट घोषित हुआ है. विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नए साल की शुरुआत होने से कई अभ्यर्थियों को ओवरएज होने की चिंता सता रही थी. इस कारण विभाग द्वारा विज्ञापन भी जारी कर दिया गया. नियुक्ति प्रक्रिया में पुराने साल को ही देखा जाएगा.

अधिकारियों का कहना है कि यह देरी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्लूएस) के आरक्षण के कारण भी हुई है. अब नए तरीके से मेरिट लिस्ट तैयार कर काउंसिलिंग के लिए बुलाया जाएगा. जब परीक्षा हुई थी, तब ईडब्लूएस आरक्षण का मामला लागू नहीं था.