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टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त मध्य प्रदेश में साल 2019 में 23 बाघों की हुई मौत

ऐसे में 'टाइगर स्टेट' के नाम से जाना जाने वाला मध्यप्रदेश में वर्ष 2019 में 23 बाघों की मौत हुई जो संभवत: देश में सबसे अधिक है.

Updated on: 01 Jan 2020, 11:30 AM

Bhopal:

वन्य जीवों को सुरक्षा देने के नाम पर चलाई जाने वाली सरकारी योजनाओं पर देश की सरकरें दशकों से पानी की तरह पैसा बहा रही हैं. ऐसे में 'टाइगर स्टेट' के नाम से जाना जाने वाला मध्यप्रदेश में वर्ष 2019 में 23 बाघों की मौत हुई जो संभवत: देश में सबसे अधिक है. इनमें से सात बाघों की मौत शिकारियों द्वारा इनका शिकार करने से हुई. इस साल जुलाई में जारी राष्ट्रीय बाघ आकलन रिपोर्ट 2018 के अनुसार मध्यप्रदेश ने प्रतिष्ठित ‘टाइगर स्टेट’ का अपना खोया हुआ दर्जा करीब एक दशक बाद कर्नाटक से फिर से हासिल किया.

लेकिन, इस साल इतने बाघों की मौत के बाद राज्य के ‘टाइगर स्टेट’ के दर्जे पर खतरा मंडराने लगा है. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की वेबसाइट के अनुसार देश में 2019 में कुल 81 बाघों की मौत हुई जिनमें से 23 बाघ मध्यप्रदेश में मरे हैं. मध्यप्रदेश में सात बाघों को शिकारियों द्वारा शिकार किया गया, जबकि सात बाघों की मौत प्राकृतिक हुई है. बाकी बाघों की मौत उनकी आपसी लड़ाई एवं दुर्घटना सहित अन्य कारणों से हुई है.

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वेबसाइट के अनुसार देश में आखिरी बाघ 10 दिसंबर को उत्तराखंड में मरा है. मध्यप्रदेश वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. यू प्रकाशम ने बताया कि राज्य हरेक बाघ, तेंदुआ एवं भालू के मरने की त्वरित रिपोर्ट देता है. उन्होंने कहा कि इस साल हमने बाघों के शिकार करने वाले सभी शिकारियों को गिरफ्तार किया है और उन पर मुकदमे चल रहे हैं. प्रकाशम ने बताया कि वन अधिकारी एवं कर्मचारी मध्यप्रदेश के विशाल 95,000 वर्ग किलोमीटर वन इलाके की पैनी निगरानी करते हैं. वर्ष 2006 में ‘टाइगर स्टेट’ का दर्जा रखने वाले मध्यप्रदेश में 300 बाघ थे जो 2010 में घटकर 257 रह गये थे और इसके कारण कर्नाटक ने मध्यप्रदेश से ‘टाइगर स्टेट’ का दर्जा छीन लिया था.

2014 में मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या बढ़कर 308 हुई. लेकिन मध्यप्रदेश बाघों की संख्या में देश में कर्नाटक एवं उत्तराखंड के बाद तीसरे स्थान पर खिसक गया था. इस साल 31 जुलाई को जारी राष्ट्रीय बाघ आकलन रिपोर्ट 2018 के अनुसार देश में कुल 2,967 बाघ हैं. इनमें से सबसे अधिक 526 बाघ मध्यप्रदेश में थे जबकि कर्नाटक 524 बाघों के साथ दूसरे स्थान पर था.