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Bhopal Result Live Update: दिग्विजय ने स्वीकारी हार, मतगणना जारी

मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में भोपाल सीट सबसे महत्वपूर्ण है. महत्वपूर्ण इस लिहाज से भी है क्योंकि यह पिछले कई सालों से बीजेपी का गढ़ बना हुआ है. यहां से बीजेपी ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को मैदान में उतारा है. पल-पल का लाइव अपडेट देखिए।

Updated on: 23 May 2019, 12:23 AM

भोपाल:

मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में भोपाल सीट सबसे महत्वपूर्ण है. महत्वपूर्ण इस लिहाज से भी है क्योंकि यह पिछले कई सालों से बीजेपी का गढ़ बना हुआ है. यहां से बीजेपी ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को मैदान में उतारा है. वहीं कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को यहां से टिकट दिया था. 12 मई को छठे चरण के अंतर्गत भोपाल सीट पर मतदान हुआ.

चुनाव की शुरुआत से ही यह सीट विवादों से घिरी रही. साध्वी प्रज्ञा ने कभी शहीद हेमंत करकरे के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की तो वहीं नाथूराम गोडसे को देशभक्त भी बता दिया. अपने विवादित बयानों से चर्चा में रहते हुआ साध्वी प्रज्ञा ने माफी भी मांगी. कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने हालांकि इस चुनाव में ऐसा कुछ भी नहीं बोला जिसका उन्हें खामियाजा भुगतना पड़े.

अपनी जीत के लिए कंप्यूटर बाबा के साथ उन्होंने भोपाल में धूनी भी रमाई. कांग्रेस की जनसभाओं में लाइट कटने को लेकर भी वह बीजेपी पर हमलावर होते रहे. 12 मई को मतदाताओं ने साध्वी और दिग्विजय सिंह की किस्मत का फैसला कर दिया है. आज जब वोटों का पिटारा खुलेगा तो पता चलेगा कि कौन जीता.

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बाराबंकी लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी उपेंद्र सिंह रावत ने जीत दर्ज की है. वह एक लाख से ज्यादा वोटों से जीते हैं. दूसरे नंबर पर गठबंधन के सपा प्रत्याशी राम सागर रावत रहे.

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भोपाल सीट पर साध्वी प्रज्ञा तीन लाख वोटों से आगे.

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अब तक मिले रुझानों के मुताबिक एनडीए को 342 सीटें, यूपीए को 86 सीटें, सपा-बसपा गठबंधन को 20 और अन्य को 91 सीटों पर बढ़त हासिल है. इस हिसाब से पीएम मोदी एक बार फिर प्रधानमंत्री बन सकते हैं.

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भोपाल से दिग्विजय सिंह 50 हजार वोटों से पीछे।

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मतगणना के मुताबिक बीजेपी की साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर 12 हजार वोटों से आगे है.

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एक राउंड की गणना में लगता है इतना समय


प्रत्‍येक विधान सभा क्षेत्र के लिए एक साथ 14 ईवीएम की गिनती एक साथ होती है. अमूमन हर दौर में 30 से 45 मिनट का समय लगता है. मतगणना टेबल के चारों ओर पार्टियों या उम्मीदवारों के एजेंट पैनी निगाह रखे रहते हैं. उनके लिए भी मतगणना अधिकारी तय फार्म 17 सी का अंतिम हिस्सा भरवाते हैं. फॉर्म 17 सी का पहला हिस्सा मतदान के पोलिंग एजेंट की मौजूदगी और दस्तखत के साथ पोलिंग प्रक्रिया शुरू करते समय भरा जाता है. मतगणना के समय आखिरी हिस्सा भरा जाता है.

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गिनती शुरू करने की क्या है नियमावली


पोस्टल बैलेट बाद इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफरेबल पोस्टल बैलेट (ETPBS) भी अगर आए हों तो उनकी गिनती होती है. इन पर QR कोड होता है. उसके जरिए गिनती होती है. आयोग की नियमावली के मुताबिक पोस्टल बैलेट और ईटीपीबीएस की गिनती पूरी होने के आधा घंटा बाद ईवीएम में दिए गए मतों की गिनती शुरू होती है. इसके लिए हरेक विधान सभा इलाके के हिसाब से सेंटर में 14 टेबल लगाए जाते हैं.

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7:45 बजे से शुरू होगी काउंटिंग


सुबह 7:45 से मतों की गणनाशुरू हो जाती है. सरकारी ड्यूटी में तैनात कर्मचारियों द्वारा पोस्टल बैलेट के जरिए डाले गए वोटों की गिनती पहले होती है. सेना के कर्मचारियों को भी पोस्टल बैलेट से मतदान का अधिकार है. पोस्टल बैलेट के लिए चार टेबल तय होते हैं. सभी राजनीतिक दलों या उम्मीदवारों के नुमाइंदे इस गणना के गवाह होते हैं. हरेक टेबल पर मतगणना कर्मचारी को हरेक राउंड के लिए पांच सौ से ज्यादा बैलेट पेपर नहीं दिए जाते हैं.

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ये करते हैं वोटों की गिनती


Counting से पहले किसी भी अधिकारी-कर्मचारी को यह नहीं बताया जाता है कि उसे किस सेंटर पर भेजा जाएगा. काउंटिंग के दिन इन कर्मचारियों को सुबह 5 बजे काउंटिंग टेबल पर बैठना होता है. हर काउंटिंग टेबल पर काउंटिंग सुपरवाइजर, असिस्टेंट व माइक्रो पर्यवेक्षक होता है. इसके बाद इनके टेबल पर बैलेट यूनिट रखी जाती हैं. टेबल के चारों ओर जाली की घेराबंदी भी की जाती है.


मतगणना में सरकारी विभागों में कार्यरत केंद्रीय और राज्य सरकार के कर्मचारी शामिल होते हैं. इन्‍हें एक हफ्ते पहले काउंटिंग सेंटर पर ट्रेनिंग दी जाती है. ट्रेनिंग में जिला निर्वाचन अधिकारी और चुनाव से संबंधित जिले के वे अधिकारी शामिल होते हैं जिनकी ड्यूटी चुनाव में लगी है. काउंटिंग से एक दिन पहले ट्रेंनिंग देने बाद उन्हें संबंधित संसदीय क्षेत्र में 24 घंटे के लिए भेज जाता है.