इंदौर के नेत्र चिकित्सालय में 11 मरीजों की रोशनी जाने के मामले में कमलनाथ सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है. सरकार ने अस्पताल के लाइसेंस को निरस्त कर दिया है. साथ ही मामले की जांच के आदेश दिए हैं. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मामले में संज्ञान लेते हुए पीड़ितों के लिए सहायता राशि का एलान किया है. सभी मरीजों को 50-50 हजार रुपये की सहायता राशि दी जाएगी और उनका पूरा इलाज सरकार की ओर से कराया जाएगा.
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इस मामले में News State से खास बातचीत में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा कि ये मन को व्यथित करने वाली घटना है, बहुत दुखद है. उन्होंने कहा कि आंखों की रोशनी जाने पर जितना दुख उन परिवारों को है, उतना ही मुझे है. स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि चेन्नई के शंकर नेत्रालय के डॉक्टरों को इलाज के लिए बुलाया गया है. सभी मरीजों को दूसरे अस्पताल में भर्ती शिफ्ट किया गया.
स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा कि सरकार के लिए पहले इलाज प्राथमिकता है, मुआवजा दूसरे स्थान पर है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि उच्चस्तरीय कमेटी बनाकर पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं. कमिश्नर की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है. उन्होंने बताया कि अस्पताल का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया और एफआईआर दर्ज करने के निर्देश भी दिए हैं.
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वहीं इस मामले पर एसडीएम का कहना है कि मामले में उचित कार्रवाई को अंजाम दिया जाएगा. वहीं सीएमएचओ ने भी कहा है कि प्रारंभिक तौर पर राज्य सरकार ने एक्शन ले लिया है और अलग-अलग बिंदुओं पर जांच की जा रही है. कलेक्टर लोकेश जाटव ने बताया है कि सभी मरीजों को बेहतर इलाज के लिए चोइथराम अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है. इन सभी मरीज़ों के उपचार का खर्च शासन द्वारा वाहन किया जाएगा. कलेक्टर ने बताया है कि इस बात की जांच की जाएगी कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा किस तरह की लापरवाही बरती गई है.
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