...तो इस डर की वजह से कर्नाटक को संकट से उबारने नहीं गए कमलनाथ

रविवार को दिल्ली में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की बैठक में यह फैसला लिया गया कि कमलनाथ अभी कर्नाटक का दौरा नहीं करेंगे.

रविवार को दिल्ली में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की बैठक में यह फैसला लिया गया कि कमलनाथ अभी कर्नाटक का दौरा नहीं करेंगे.

author-image
Dalchand Kumar
New Update
...तो इस डर की वजह से कर्नाटक को संकट से उबारने नहीं गए कमलनाथ

फाइल फोटो

मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार से अभी संकट के बादल छटे नहीं है. सरकार को अभी भी राज्य में गोवा और कर्नाटक जैसे हालात पैदा होने का डर सता रहा है. मुख्यमंत्री कमलनाथ का कर्नाटक दौरा टलने के बाद राजनीतिक गलियों में इन्हीं बातों का अंदेशा लगाया जा रहा है. रविवार को दिल्ली में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की बैठक में यह फैसला लिया गया कि कमलनाथ अभी कर्नाटक का दौरा नहीं करेंगे. कर्नाटक में चल रही उथल पुथल के बाद उम्मीद की जा रही थी कि सीएम कमलनाथ कर्नाटक में जाकर सरकार बचाएंगे. कहा जा रहा था कि कर्नाटक में संकट में घिरी सरकार को उबारने में कांग्रेस द्वारा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के अनुभव की मदद ली जाएगी. मगर भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरह मध्य प्रदेश में स्थिति बना कर रखी है, उससे मुख्यमंत्री कमलनाथ की चिंताएं बढ़ी हुई हैं और यही वही मानी जा रही है कि वो कर्नाटक को छोड़ अब अपने ही सरकार को बचाने में लगे हुए हैं.

Advertisment

यह भी पढ़ें- 'सुना था सिर्फ अधिकारियों-कर्मचारियों के तबादले होते हैं, लेकिन इस सरकार में तो कुत्तों के तबादले हो गए'

मुख्यमंत्री कमलनाथ इन दिनों दिल्ली में हैं और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठकें कर रहे हैं. तो वहीं कमलनाथ ने 17 जुलाई को भोपाल में विधायक दल की बैठक बुलाई है, जिसके लिए वो जल्द ही दिल्ली से मध्य प्रदेश वापस लौंटेंगे. विधानसभा का मॉनसून सत्र शुरू होने से पहले भी उन्होंने विधायकों की बैठक बुलाई थी. जिसके बाद ऐसा लगता है, जैसे मध्य प्रदेश में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है. इसको लेकर मुख्यमंत्री भी कुछ कहने से बचते हुए नजर आ रहे हैं. हालांकि कमलनाथ के मंत्रियों का दावा है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार मजबूत है और पूरे 5 साल चलेगी. संसदीय कार्य मंत्री गोविंद सिंह ने हाल ही में बीजेपी को चुनौती देते हुए कहा था कि वो चाहे तो विधानसभा में आकर फ्लोर टेस्ट करा ले. उन्होंने कहा कि वो सदन में शक्ति परीक्षण की बीजेपी की मांग का स्वागत करेंगे.

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ पिछले हफ्ते डिनर डेप्लोमेसी के जरिए अपना शक्ति प्रदर्शन कर चुके हैं. बीते गुरुवार को मंत्री तुलसी सिलावट के आवास पर आयोजित भोज में सभी बड़े नेताओं के अलावा विधायकों और मंत्रियों को बुलाया गया था. कांग्रेस ने इस आयोजन के जरिए मध्य प्रदेश में एकजुटता दिखाने की कोशिश की. मगर इस एकजुटता की कोशिश में कमजोर कड़ी भी नजर आई. कई बड़े नेता और विधायक इस एकजुटता प्रदर्शन से दूर बने रहे. सिंधिया समर्थक मंत्री सिलावट द्वारा आयोजित रात्रि भोज में सिंधिया, मुख्यमंत्री कमलनाथ तो पहुंचे, मगर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के अलावा कुछ विधायक जिनमें मंत्री भी शामिल हैं, नजर नहीं आए. यही कारण है कि कांग्रेस के कई बड़े नेताओं और विधायक-मंत्रियों की भोज में गैर हाजिरी को सबकुछ ठीक-ठाक न होने की ओर भी इशारा कर रहा है.

यह भी पढ़ें- दलित से साक्षी मिश्रा की शादी पर बीजेपी विधायक बोले- ऐसी खबरों से देश में बढ़ेंगी कन्या भ्रूण हत्या की घटनाएं

कांग्रेस सरकार के डर के पीछे की एक वजह बीजेपी नेताओं के बयान भी हैं. बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने पिछले दिनों सरकार के अस्थिर होने का दावा किया था और कहा था कि वो जब चाहेंगे सरकार गिरा देंगे. साथ ही कांग्रेस के कई विधायकों के बीजेपी के संपर्क में होने का भी दावा किया गया था. उसके बाद से प्रदेश में कांग्रेस लगातार सजग और सतर्क बनी हुई है. बता दें कि राज्य विधानसभा में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नहीं है. विधानसभा के 230 विधायकों में से कांग्रेस के 114, भाजपा के 108, बसपा के दो, सपा का एक और चार निर्दलीय विधायक हैं. एक सीट रिक्त है. राज्य में कमलनाथ सरकार अभी सपा, बसपा और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से चल रही है.

यह वीडियो देखें- 

Karnataka rahul gandhi congress madhya-pradesh Goa Kamalnath
Advertisment