मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने पिछली बीजेपी सरकार की रेत खनन नीति को पलटते हुए नई रेत खनन नीति को मंजूरी दे दी है. इसमें पंचायतों से रेत खनन के अधिकार वापस लेते हुए खदानों को समूह में नीलाम करने का प्रावधान किया गया है. इस नीति से सरकार को सालाना 900 करोड़ रुपए राजस्व मिलने की उम्मीद है. इस नीति की सबसे खास बात ये है कि नर्मदा नदी में स्थित खदानों में मशीनों से उत्खनन पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा. अन्य नदियों की पांच हेक्टेयर तक की खदानों में मशीनों का उपयोग हो सकेगा. राज्य सरकार ने बंद पड़ी 30 फीसदी खदानों को भी शुरू करने को मंजूरी दी है. इससे आपूर्ति बढ़ेगी तो दाम नियंत्रण में रहेंगे.
यह भी पढ़ें- कांग्रेस के लिए मध्य प्रदेश में नया प्रदेश अध्यक्ष चुनना आसान नहीं, सामने ये है बड़ी चुनौती
नई नीति के मुताबिक रेत खदानों को पंचायतों से लेकर खनिज विकास निगम ऑनलाइन नीलाम करेगा. इसमें खदानों का समूह बनाकर नीलामी की जाएगी. खदानें दो साल के लिए दी जाएंगी और दूसरे साल इस राशि में 20 फीसदी की वृद्धि होगी. नई नीति के तहत रेत का परिवहन ट्रांजिट पास के जरिए होगा. सरकार का दावा है कि इससे अवैध उत्खनन पर रोक लगेगी.
यह भी पढ़ें- मालेगांव बम धमाका: NIA कोर्ट में सुनवाई के बाद बोलीं प्रज्ञा, ...इससे तो अच्छा है मुझे फांसी पर चढ़ा दें
रेत के दाम न बढ़ें, इस पर नजर रखी जाएगी. सरकारी कामों के लिए रेत नि:शुल्क मिलेगी. किसान, ग्रामीण, अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के व्यक्तियों को व्यक्तिगत कामों के लिए सालभर में दस घनमीटर रेत नि:शुल्क मिलेगी. पंचायतों को अभी तक 50 रुपए घनमीटर रॉयल्टी मिल रही थी. इसे 25 रुपए प्रति घनमीटर बढ़ा दिया है. सतह पर जो रेत होगी, उसका उपयोग भूस्वामी कर सकेगा. साथ ही जिन बंद खदानों से अवैध उत्खनन हो रहा था, उन्हें शुरू कर नीलाम किया जाएगा.
यह वीडियो देखें-