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ज्योतिरादित्य सिंधिया (फाइल फोटो)
मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बने हुए अभी साल भर भी नहीं हुआ है. ऐसे में संगठन और सरकार में गिले-शिकवे नजर आने लगे हैं. इसकी शिकायत जब कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया तक पहुंची तो उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि प्रदर्शन कर अपनी ताकत दिखाएं. 15 साल बाद मध्यप्रदेश में कांग्रेस सत्ता में लौटी तो संगठन के पदाधिकारियों की उम्मीदें भी सातवें आसमान पर थीं. लेकिन कार्यकर्ताओं का कहना है कि मंत्री और विधायक पार्टी के नेताओं की सुन नहीं रहे और मनमर्जी से काम कर रहे हैं. यह तब देखने को मिला जब कांग्रेस के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जिला कांग्रेस कार्यालय में ब्लॉक और मंडलम अध्यक्षों से वन टू वन चर्चा की.
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दरअसल, जब से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी है तब से मंत्री खुश और कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखी जा रही है. इसकी शिकायत ज्योतिरादित्य सिंधिया तक पहुंची तो उन्होंने कार्यकर्ता से व्यक्तिगत बात करना जरूरी समझा. कार्यकर्ताओं ने सिंधिया से कहा कि कई लोग अपनी समस्या लेकर मंत्रियों तक नहीं पहुंच पाते. ऐसे में वे लोग हमारे पास आते हैं, लेकिन मंत्री सुनते नहीं है. तो सिंधिया बोले कि अपने-अपने क्षेत्र में जाएं और जनता के मुद्दों को सड़क पर लाएं अगर कोई नहीं सुन रहा है तो प्रदर्शन कर अपनी ताकत दिखाएं. इसके बाद भी अगर कोई नहीं सुनेगा तो मैं देखूंगा.
सिंधिया ने कहा कि कार्यकर्ता की अभिलाषा होती है कि सरकार जनता की समस्याओं को दूर करे. सत्ता और संगठन में सामंजस्य होना जरूरी है. सिंधिया ने कहा कि इस बैठक में किसी ने भी क्षेत्र का बड़ा मुद्दा नहीं उठाया ट्रांसफर और अन्य समस्या ज्यादातर उठाई गई है. उन्होंने पदाधिकारियों से कहा है कि वे क्षेत्र में जाएं और बड़े मुद्दों को उठाएं. इसके बाद भी यदि कोई उनकी बात अधिकारी मंत्री और विधायक नहीं सुनते हैं तो फिर मुझे बताएं. सिंधिया ने सभी पदाधिकारियों से कहा है कि मैं 3 महीने में अपने कार्य की रिपोर्ट दें और उन्हें जनता के बीच जाकर क्या किया यह बताएं .उन्होंने यह भी कहा कि कौन क्या कर रहा है इसकी उन्हें जानकारी है.
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कांग्रेस के ब्लॉक और मंडल अध्यक्षों की ओर से कुछ अधिकारियों के ट्रांसफर करने की भी मांग की गई. जिस पर सिंधिया ने कहा कि जनता के हित की बात कीजिए और जन समस्या बताइए. बीजेपी को इस मसले पर कांग्रेस पर हमला करने का मौका मिल गया है. इस पूरी बैठक के बाद कार्यकर्ताओं में भरोसा और विश्वास जाग उठा है. उन्हें उम्मीद है कि मंत्री भले ही उनकी बात ना सुने, लेकिन उनके नेता सिंधिया जरूर सुनेंगे.
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