एमपी में जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर, मांगें नहीं मानने पर कोविड सेवाएं भी बंद करने का किया ऐलान

मध्य प्रदेश में कोरोना काल के बीच जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं. जूनियर डॉक्टरों ने अपनी प्रतिवर्ष मानदेय में 6% बढ़ोतरी सहित सूत्रीय मांगों को लेकर इमरजेंसी सेवाओं को बंद कर दिया है.

मध्य प्रदेश में कोरोना काल के बीच जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं. जूनियर डॉक्टरों ने अपनी प्रतिवर्ष मानदेय में 6% बढ़ोतरी सहित सूत्रीय मांगों को लेकर इमरजेंसी सेवाओं को बंद कर दिया है.

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Vineeta Mandal
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एमपी जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर( Photo Credit : सांकेतिक चित्र)

 मध्य प्रदेश में कोरोना काल के बीच जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं. जूनियर डॉक्टरों ने अपनी प्रतिवर्ष मानदेय में 6% बढ़ोतरी सहित सूत्रीय मांगों को लेकर इमरजेंसी सेवाओं को बंद कर दिया है. डॉक्टरों ने कहा है कि अगर सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानी तो कल से कोविड-19 सेवाएं भी यह सभी डॉक्टर बंद कर देंगे. जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि वह लंबे समय से सरकार के सामने अपनी मांगे रखते हुए आ रहे हैं. लेकिन अभी तक सरकार ने उनकी एक भी मांग को पूरा नहीं किया और सिर्फ उन्हें हमेशा आश्वासन ही दिया है.

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जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन (जूडा) के अनुसार, 6 मई को चिकित्सा शिक्षा मंत्री और विभागीय अधिकारियों ने मांगें पूरा करने का वादा किया था, मगर अब तक कोई लिखित आदेश जारी नहीं किया गया है.

और पढ़ें: MP Unlock: एमपी में अनलॉक की तैयारी, दो तरह की गाइडलाइन तय

कोरोना और ब्लैक फंगस के प्रकोप के बीच जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं गड़बड़ा सकती हैं और मरीजों की मुसीबत में बढ़ सकती है. राज्य में कोरोना पर कुछ काबू पाया गया है, तो दूसरी तरफ ब्लैक फंगस का असर बढ़ रहा है. सरकार एक जून से कोरोना कर्फ्यू में भी कुछ ढील देने पर विचार कर रही है. ऐसे में छह सूत्री मांगों को लेकर जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन (जूडा) के हड़ताल पर जाने से राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं गड़बड़ाने का अंदेशा है.

जूडा की मांगें

1. मानदेय में बढ़ोतरी कर इसे 55 हजार, 57 हजार, 59 हजार से बढ़ाकर 68200, 70680, और 73160 किया जाए.

2. मानदेय में हर साल 6 फीसद की बढ़ोतरी की जाए.

3. कोविड में काम करने वाले डॉक्टरों व उनके स्वजन के लिए अस्पताल में इलाज की अलग व्यवस्था हो.

4. कोविड ड्यूटी में काम करने वाले डॉक्टरों को सरकारी नियुक्ति में 10 फीसद अतिरिक्त अंक दिए जाएं.

5.  कोरोना ड्यूटी को एक साल की अनिवार्य ग्रामीण सेवा मानकर बांड से मुक्त किया जाए.

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