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Joura by Election: जौना विधानसभा सीट पर आखिर इसबार किसका पलड़ा होगा भारी

मध्य प्रदेश विधानसभा की 28 सीटों पर हो रहे उपचुनाव का प्रचार रविवार को थम गया है. एमपी में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी और विपक्षी पार्टी कांग्रेस दोनों के लिए ये उपचुनाव काफी महत्वपूर्ण है. इस कड़ी में हम बात करेंगे जौरा सीट के बारे में.

Updated on: 02 Nov 2020, 04:39 PM

जौरा:

मध्य प्रदेश विधानसभा की 28 सीटों पर हो रहे उपचुनाव का प्रचार रविवार को थम गया है. 3 नवंबर को इन सभी सीटों पर मतदान होना है. प्रदेश के इन उपचुनाव में 12 मंत्रियों सहित कुल 355 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. इस उपचुनाव में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच माना जा रहा है लेकिन कुछ सीटों पर मायावती के नेतृत्व वाली बसपा एवं कुछ अन्य छोटे राजनीतिक दलों के साथ-साथ निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में हैं. एमपी में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी और विपक्षी पार्टी कांग्रेस दोनों के लिए ये उपचुनाव काफी महत्वपूर्ण है. इस कड़ी में हम बात करेंगे जौरा सीट के बारे में.

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जौरा सीट का चुनावी समीकरण- 

जौरा सीट विधायक बनवारीलाल शर्मा के निधन के बाद खाली हुआ है. बनवारी लाल शर्मा ने बसपा के मनीराम धाकड़ को 15 हजार वोट से मात दिया था. वहीं बीजेपी के उम्मीदवार सूबेदार सिंह तीसरे नंबर पर रहे थे.

इस क्षेत्र में कांग्रेस में बीते कई दशक से सिंधिया परिवार का बोलबाला रहा है. जब तक माधवराव सिंधिया थे कांग्रेस उम्मीदवार वही तय करते थे. उसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया करने लगे. इस बार ज्योतिरादित्य बीजेपी में हैं तो उम्मीदवारों को कमलनाथ ने तय किया है. इस सीट पर कांग्रेस के कमलनाथ और बीजेपी से ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ ही नरेंद्र सिंह तोमर आदि की साख भी दांव पर लगी है.

जौरा में चार प्रमुख जातियां ब्राह्मण, राजपूत ओबीसी और अनुसूचित जाति के मतदाताओं का दबदबा है. इसके अलावा यादव, वैश्य, नाई, नट और आदिवासी भी निर्णायक भूमिका में हैं. जौरा विधानसभा के इतिहास में कांग्रेस और बसपा को तो जीत मिलती रही है लेकिन बीजेपी को केवल एक बार 2013 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल हुई है .