खंडवा में बीमा कंपनी के एजेंट ने की खुदखुशी, रसूखदारों पर लगाया मानसिक प्रताणना का आरोप
खंडवा में एक निजी बीमा कंपनी के एजेंट और आरटीआई कार्यकर्ता ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली. यह आरटीआई कार्यकर्ता 10 दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर छूटा था . इस पर खंडवा के विभिन्न थानों में करीब सात मामले दर्ज थे.
highlights
- 7 महीने की जेल के बाद घर लौटा था बीमा एजेंट
- ब्लैकमेल करके पॉलिसी बेचने का आरोप था
- पूर्व मंत्री का नाम सुसाइड नोट में
नई दिल्ली:
खंडवा में एक निजी बीमा कंपनी के एजेंट और आरटीआई कार्यकर्ता ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली. यह आरटीआई कार्यकर्ता 10 दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर छूटा था . इस पर खंडवा के विभिन्न थानों में करीब सात मामले दर्ज थे. इस पर आरोप था कि वह सूचना के अधिकार अधिनियम का सहारा लेकर लोगों को ब्लैकमेल करता था और दबाव बनाकर बीमा पालिसी बेचता था.
इस आरटीआई कार्यकर्ता ने 5 पन्ने का सुसाइड नोट छोड़ा है जिसमे उसने 17 लोगों के खिलाफ मानसिक प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए है. इसमें उसके खिलाफ मामला दर्ज कराने वाले व्यापारियों के साथ साथ पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस, तत्कालीन खंडवा कलेक्टर अभिषेक सिंह , तत्कालीन खंडवा सीएसपी शेष नारायण सिंह और बीमा कंपनी की महिला सेल्स मैनेजर के नाम प्रमुख है.
परिजनों का कहना है कि जब तक सुसाइड नोट पर लिखे आरोपी लोगों के खिलाफ मामले दर्ज नहीं होते तब तक वह अंतिम संस्कार नही करेंगे. फिलहाल शव अस्पताल के पोस्टमॉर्टम रूम में रखी है. पुलिस मामले की जांच कर रही है. जगन्नाथ माने नाम का यह शख्स पुराना संघ का कार्य करता रहा है. यह खंडवा नगर निगम परिषद में एल्डरमैन भी रहा.
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बाद में संघ और भाजपा में नेताओं से इसकी पटरी नहीं बैठी तो उसने दोनों ही संस्थाओं से नाता तोड़ लिया. इसके बाद सूचना के अधिकार में जानकारी निकाल कर कई व्यापारी और उनकी संस्थाओं के खिलाफ मामले उजागर किए. यहां तक जगन्नाथ माने का रसूख और दबदबा इतना हो गया था कि खंडवा में उसकी तूती बोलने लगी थी. 2015 के बाद यह एक निजी बीमा कंपनी का एजेंट बना.
जगन्नाथ माने पर आरोप लगे कि वह सूचना के अधिकार में मिली जानकारी के आधार पर लोगों को ब्लैकमेल करके दबाव बनाने लगा और बदले में पॉलिसी बेचने लगा. जब इसने बड़े और रसूखदार लोगों पर भी हाथ डाला तो एक के बाद एक लोगों ने इसके खिलाफ थाने में अपराध दर्ज करवाए. अलग अलग थानों में उसके खिलाफ 7 मामले दर्ज हुए और 7 महीनों से वह जेल में था.
जेल में लंबे समय तक रहने के बाद पिछले 23 अप्रैल को ही वह जमानत पर बाहर आया था. उसके परिजनों का कहना है कि जिन लोगों ने उसके खिलाफ थाने में अपराध दर्ज करवाएं थे वही लोग फिर से झूठे प्रकरण में उसे फंसाना चाहते थे . अपने सुसाइड नोट में उसने 17 लोगों का जिक्र किया है, जिनपर मानसिक प्रताड़ना का आरोप है.
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इसमें पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस,तत्कालीन खंडवा कलेक्टर अभिषेक सिंह, और उस समय के csp शेष नारायण तिवारी है. सुसाइड नोट में बड़े बड़े लोगों के नाम आने से पुलिस अब फूँक फूँक कर कदम रख रही है और इनकी भूमिका की जांच कर रही है. जगन्नाथ माने ने बीमा कंपनी में अपनी सेल्स मैनेजर रही एक महिला पर भी मानसिक प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं.
माने ने अपने नोट में इस महिला के साथ अवैध संबंध होने की बात भी कबूली और महिला द्वारा अपना आर्थिक शोषण करने की बात भी लिखी. जिस महिला का उसने जिक्र किया है उसने भी बुरहानपुर में 3 दिन पहले जहर खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की थी लेकिन बच गई. उसने भी अपने बयान में माने के खिलाफ प्रताड़ित करने के आरोप लगाए थे.
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कयास लगाए जा रहे है कि इन्हीं सब बातों के चलते जगन्नाथ माने ने सुबह जहर खा लिया. उसेके परिजन उसे अस्पताल लेकर पहुंचे लेकिन वह बच नहीं सका. परिजनों का कहना है कि बड़े और रसूखदार लोगों ने साजिश रच कर उनके भाई के खिलाफ मामले दर्ज कराएं और झूठे प्रकरण में उसे जेल भिजवाया था. परिजनों ने कहा कि सुसाइड नोट में लिखे हुए लोगों के खिलाफ मामले दर्ज होंगे तभी वह अपने भाई का अंतिम संस्कार करेंगे.
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