Indore Digital Case: डिजिटल अरेस्ट के मामले थमने का नाम ही नहीं ले रहे हैं. ताजा मामला मध्य प्रदेश के इंदौर से सामने आया है. इस बार ठगों ने एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर को शिकार बनाया है. आरोप है कि 35 साल के सॉफ्टवेयर इंजीनियर को 'डिजिटल अरेस्ट' के नाम पर होटल के कमरे में ठग बंद किए हुए थे. इस घटना का खुलासा उस वक्त हुआ जब पीड़ित के परिवार ने उसकी गुमशुदगी की सूचना पुलिस को दी. इसके बाद पुलिस ने ठगों के चंगुल उसको मुक्त करवा लिया.
मीडिया एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने मामले की तफ्तीश शुरू की. इसके बाद जब उनके हाथ सुराग लगे, जिसके आधार पर पुलिस एक होटल के कमरे में पहुंच गई. यहां पता चला कि पीड़ित वीडियो कॉल पर एक व्यक्ति से बात कर रहा था, जो पुलिस की वर्दी में था. वह व्यक्ति खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी बताते हुए पीड़ित को मुंबई में दर्ज एक 'झूठे आपराधिक मामले' के तहत 'डिजिटली गिरफ्तार' करने की धमकी दे रहा था.
इंजीनियर को ऐसे ट्रैप में फंसाया
पीड़ित ने पुलिस को बताया कि यह पूरी घटना दुबई के एक नंबर से आए फोन कॉल से शुरू हुई. कॉल के जरिए उसे एक होटल का कमरा बुक करने और वहां रुकने के लिए मजबूर किया गया. ठगों ने उसे होटल के कमरे में बंद कर दिया और धमकाते हुए उसे पैसे देने को कहा.
ऐसे बचे जान और माल
विजय नगर पुलिस स्टेशन के प्रभारी चंद्रकांत पटेल ने बताया कि यदि पुलिस समय पर नहीं पहुंचती, तो पीड़ित को 26 लाख रुपये का चूना लग सकता था. पुलिस ने मौके पर पहुंचकर पीड़ित को सुरक्षित बाहर निकाला और उसकी मोबाइल फोन को जब्त कर मामले की जांच शुरू कर दी.
ऐसे होता है डिजिटल अरेस्ट
'डिजिटल गिरफ्तारी' साइबर ठगी का एक नया तरीका है, जिसमें ठग वीडियो या ऑडियो कॉल के जरिए खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी बताते हैं. वो पीड़ितों को झूठे मामलों में फंसाने की धमकी देते हैं और उन्हें होटल के कमरों में बंद रहने के लिए मजबूर करते हैं. इसके बाद, उन्हें "रिहा" करने के बदले पैसे की मांग की जाती है. पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे किसी भी अनजान नंबर से आने वाले फोन कॉल्स पर सतर्क रहें और संदिग्ध गतिविधियों की तुरंत सूचना दें.