विधायकों को आयकर विभाग के नोटिस से कांग्रेस में खलबली, जानिए क्या है पूरा मामला

मध्य प्रदेश में बाहरी विधायकों के समर्थन से सरकार चला रही कांग्रेस में आयकर विभाग द्वारा विधायकों को जारी किए गए नोटिस से खलबली मची हुई है.

मध्य प्रदेश में बाहरी विधायकों के समर्थन से सरकार चला रही कांग्रेस में आयकर विभाग द्वारा विधायकों को जारी किए गए नोटिस से खलबली मची हुई है.

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Dalchand Kumar
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विधायकों को आयकर विभाग के नोटिस से कांग्रेस में खलबली, जानिए क्या है पूरा मामला

फाइल फोटो

मध्य प्रदेश में बाहरी विधायकों के समर्थन से सरकार चला रही कांग्रेस में आयकर विभाग द्वारा विधायकों को जारी किए गए नोटिस से खलबली मची हुई है. जिन 20 विधायकों को नोटिस जारी किए गए हैं, उनमें नौ विधायकों का सीधे कांग्रेस से नाता है. मगर कांग्रेस की ओर से सरकार को कोई खतरा न होने की बात कही जा रही है. ज्ञात हो कि राज्य की 230 विधायकों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 114 विधायक हैं और वह बहुमत के आंकड़े से दो कम है. निर्दलीय चार, सपा का एक और बसपा के दो विधायकों के समर्थन से कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को समर्थन देने वाले विधायकों की संख्या 121 पहुंच जाती है. 

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पिछले दिनों कांग्रेस के नौ विधायकों सहित 20 विधायकों को आयकर विभाग ने नोटिस जारी किया. ये नोटिस इन विधायकों को इसलिए जारी किए गए हैं, क्योंकि चुनाव लड़ने के दौरान आय के जो ब्यौरे उन्होंने दिए हैं, वे बीते चुनाव के दौरान दिए गए ब्यौरे से मेल नहीं खाते. कांग्रेस विधायकों को जब से आयकर विभाग के नोटिस की खबर आई है, पार्टी के भीतर खलबली मची हुई है. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है, 'आयकर विभाग के नोटिस से सरकार के सामने एक चुनौती तो आ ही गई है, क्योंकि सरकार बहुमत की सीमा रेखा पर है. ये नोटिस तो भाजपा विधायकों को भी आए हैं, मगर कांग्रेस तथा समर्थन देने वाले कुल विधायकों की संख्या 14 है. अगर दोनों दलों के विधायकों को न्यायालय अयोग्य घोषित करता है तो कांग्रेस 107 व भाजपा 102 पर सिमट जाएगी.'

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विधायकों को आयकर का नोटिस जारी किए जाने के बाद अयोग्य होने को लेकर छिड़ी बहस के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद विवेक तन्खा ने कहा है कि कांग्रेस या कमलनाथ सरकार को कोई संकट नहीं है. आयकर विभाग के नोटिस जब प्राप्त होंगे तो कानूनी जवाब दिया जाएगा. तन्खा ने शनिवार को ट्वीट किया था, 'आईटी विभाग को कोई अधिकार नहीं है कि वह एमएलए को अयोग्य करार दे. आईटी टैक्सिंग संस्था है. एमएलए या एमपी को आयोग, उच्च न्यायालय चुनाव याचिका में या चुनाव आयोग अधिक खर्चे की याचिका के निराकरण में आदेशित कर सकता है.'

राज्य की सियासत में पिछले कुछ दिनों से दोनों दलों के दांव-पेंच के चलते हलचल मची हुई है. विधानसभा में कांग्रेस सरकार के दंड विधान संशोधन विधेयक का भाजपा के दो विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कोल द्वारा समर्थन किए जाने से भाजपा को बैकफुट पर आना पड़ा था. उसके बाद ई-टेंडरिंग मामले मे पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा के दो करीबियों की गिरफ्तारी और उसके बाद एक करीबी से पूछताछ ने पार्टी की मुश्किलें बढ़ाई तो अब कांग्रेस के विधायकों को आयकर के नोटिस जारी होने से कांग्रेस को बचाव की मुद्रा में आना पड़ा है.

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