मप्र के उपचुनाव में संघ निभाएगा जमीनी भूमिका, फीडबैक लेकर बन रही रणनीति
उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की बड़ी भूमिका रहने वाली है, इसके लिए संघ ने जमीनी स्तर पर स्वयंसेवकों को सक्रिय भी कर दिया है.
भोपाल:
मध्यप्रदेश में कुछ समय बाद 27 विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की बड़ी भूमिका रहने वाली है, इसके लिए संघ ने जमीनी स्तर पर स्वयंसेवकों को सक्रिय भी कर दिया है. संघ के स्वयंसेवक कोरोना काल में लोगों की हर संभव मदद करने में लगे हैं और पार्टी की स्थिति के साथ उम्मीदवार के जनाधार का गणित भी तलाश रहे हैं. हालांकि चुनाव आयोग ने फिलहाल उप-चुनाव (By Polls) की तारीखों का ऐलान नहीं किया है.
27 सीटों पर होने हैं उप-चुनाव
राज्य में लगभग पांच माह पहले कांग्रेस के 22 विधायकों के एक साथ पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लेने से तत्कालीन कमल नाथ सरकार गिर गई थी और भाजपा को सत्ता में वापसी का मौका मिला था. इसके बाद कांग्रेस के तीन और विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया. वहीं दो सीटें दो विधायकों के निधन से खाली हुई हैं. कुल मिलाकर 27 विधानसभा क्षेत्रों में आगामी समय में उपचुनाव प्रस्तावित है. उपचुनाव सितंबर के अंत में हो सकते हैं, मगर चुनाव आयोग ने अभी तारीखों का ऐलान नहीं किया है.
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पूर्ण बहुमत के लिहाज से अहम हैं उप-चुनाव
राज्य की सियासत के लिहाज से 27 क्षेत्रों में होने वाले विधानसभा उपचुनाव काफी अहम हैं, क्योंकि राज्य विधानसभा की सदस्य संख्या 230 है. विधानसभा में पूर्ण बहुमत के लिए 116 विधायकों का समर्थन आवश्यक है. वर्तमान में भाजपा के पास 107, कांग्रेस के 89, सात निर्दलीय, बसपा और सपा के एक-एक विधायक हैं. भाजपा को पूर्ण बहुमत पाने के लिए कम से कम नौ सीटों पर जीत चाहिए. सूत्रों का कहना है कि कुछ विधानसभा क्षेत्रों से भाजपा के लिए सुखद सूचनाएं नहीं आ रही हैं. इस वजह से भाजपा संगठन जहां अपने स्तर पर उपचुनाव वाले क्षेत्रों में काम कर रहा है, वही संघ के स्वयंसेवक अपनी भूमिका निभा रहे हैं.
संघ मदद कर रहा कोरोना संक्रमण में
इस समय कोरोना संक्रमण के कारण लोग मुसीबत में हैं और संघ के स्वयंसेवक इन लोगों की हर संभव मदद करने में लगे हैं. स्वयंसेवकों की सक्रियता से संघ को जमीनी फीडबैक भी मिल रहा और उसी के आधार पर आगे की रणनीति बनाई जा रही है. पिछले एक माह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत की मध्यप्रदेश में हुए दो दौरों को विधानसभा उपचुनावों से भी जोड़कर देखा जा रहा है. वैसे, संघ प्रमुख के इन दौरों के दौरान उनका भाजपा नेताओं से तो मुलाकात नहीं हुई, मगर संघ प्रमुख का स्वयंसेवकों से संवाद जरूर हुआ.
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जमीनी फीडबैक पर केंद्रित होगी संघ की रणनीति
राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटैरिया का कहना है कि संघ सूचनाओं के आधार पर अपनी रणनीति बनाता है. अगर संघ को यह सूचना है कि कुछ क्षेत्रों में भाजपा की स्थिति कमजोर है तो यह मान लीजिए कि संघ को उपचुनाव को लेकर खतरा जान पड़ रहा है. इसीलिए संघ प्रमुख एक माह के भीतर मध्यप्रदेश का दो बार दौरा कर चुके हैं और संघ के लोगों से फीडबैक ले चुके हैं.
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