Advertisment

मध्य प्रदेश के इस शहर में 'मानव कैप्सूल' से बना नया कीर्तिमान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वस्थ भारत के अभियान को साकार करने और जेनेरिक दवाओं का महत्व बताने के लिए इंदौर में एक हजार युवाओं ने मिलकर 'मानव कैप्सूल' बनाया.

author-image
Yogendra Mishra
New Update
मध्य प्रदेश के इस शहर में 'मानव कैप्सूल' से बना नया कीर्तिमान

प्रतीकात्मक फोटो।

Advertisment

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वस्थ भारत के अभियान को साकार करने और जेनेरिक दवाओं का महत्व बताने के लिए इंदौर में एक हजार युवाओं ने मिलकर 'मानव कैप्सूल' बनाया. इतनी बड़ी संख्या में मिलकर युवाओं द्वारा 'मानव कैप्सूल' की आकृति बनाने को गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में दर्ज किए जाने का दावा किया जा रहा है.

मानव कैप्सूल बनाने वाले समूह के प्रमुख डॉ. पुनीत द्विवेदी ने बताया है कि वर्तमान दौर में लोग ब्रांडेड सामान के उपयोग करने को ज्यादा महत्व देते हैं. यही कुछ दवाओं के मामले में हो रहा है, जिसके चलते उन्हें कम कीमत पर मिलने वाली जेनेरिक दवाओं के मुकाबले ब्रांडेड कंपनी की दवा के नाम पर ज्यादा दाम चुकाना पड़ता है.

यह भी पढ़ें- कश्मीरी छात्रों से मिले सीएम योगी, बोले- आपकी देखभाल की पूरी जिम्मेदारी हमारी

फार्मासिस्ट दिवस पर बुधवार को इंदौर के मॉडर्न इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज के परिसर में डॉ. द्विवेदी के नेतृत्व में एक हजार युवाओं ने नीले और सफेद कपड़े पहनकर यह मानव कैप्सूल बनाया. इस कैप्सूल को ठीक वैसा ही स्वरूप दिया गया, जैसा कि कैप्सूल होता है. एक तरफ सफेद तो दूसरी ओर नीले रंग के कपड़े पहने युवाओं को खड़ा किया गया. इसके चलते एक ही स्थान पर जमा हुए एक हजार युवा कैप्सूल के रूप में नजर आने लगे. इस मानव कैप्सूल को बनाने वाले 1000 युवा लगभग 15 मिनट तक एक ही स्थान पर खड़े रहे.

यह भी पढ़ें- कुदरत का कहर; बारिश और आकाशीय बिजली से उत्तर प्रदेश में 6 लोग मरे 

डॉ. द्विवेदी का दावा है कि यह अपनी तरह का नया कीर्तिमान है. इसके लिए आयोजन स्थल पर वल्र्ड बुक ऑफ रिकार्ड की इंडिया टीम के डॉ. प्रदीप मिश्रा, तिथि भल्ला और वल्र्ड बुक ऑफ रिकार्ड के यूएस प्रतिनिधि डॉ. दिवाकर सुकुल मौजूद रहे. इससे पहले वर्ष 2018 में 18 मार्च को केरल में कुन्नूर में डॉ. जयनारायण जी एवं कालीकट इंस्टीट्यूशन की अगुवाई में 438 लोगों ने शामिल होकर एक मानव कैप्सूल बनाया था.

यह भी पढ़ें- उत्तराखंड क्रिकेट प्रेमियों के लिए निराशाभरी खबर, अफगानिस्तान की टीम छोड़ेगी अपना होम ग्राउंड

डॉ. द्विवेदी का कहना है कि लोगों में यह जागृति आवश्यक है कि प्रमुख कंपनियों अथवा ब्रांडेड कंपनियों की जेनेरिक दवाओं की कीमत बहुत अधिक होती है, जबकि उसी फामूर्ले, यानी ठीक वैसी ही बनी दीगर कंपनियों की दवा की कीमत काफी कम होती है, मगर चिकित्सक और दवा विक्रेता अपना लाभ कमाने के लिए ब्रांडेड कंपनी की दवा देते हैं. इसका गरीब परिवार के लोगों की आर्थिक स्थिति पर असर पड़ता है. लिहाजा, लोगों में यह जागृति लाना जरूरी हो गया है कि जेनेरिक दवा एक ही है, बस फर्क कंपनी का होता है. इस वास्तविकता को समझें.

यह भी पढ़ें- उत्तराखंड में आबकारी विभाग की छापेमारी में 353 कार्टून अवैध शराब बरामद

संस्थान के वाइस चेयरमैन शांतनु खरिया ने कहा कि इस तरह का नवाचार विद्यार्थियों में कुछ नया करने की उम्मीद पैदा करते हैं व उन्हें विश्व स्तर पर सोचने के लिए प्रेरित करते हैं, साथ ही उनका संपूर्ण विकास करता है.

Source : आईएएनएस

latest-news Indore News hindi news Madhya Pradesh News Update
Advertisment
Advertisment
Advertisment