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बुंदेलखंड में मजबूत बीजेपी से कांग्रेस कैसे करे मुकाबला! अब तक ये रही है दोनों की रणनीति

मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में भाजपा लगातार मजबूत तो हो ही रही है, साथ ही राजनीतिक तौर पर इस इलाके की हैसियत भी बढ़ रही है.

Updated on: 10 Jan 2021, 01:25 PM

भोपाल:

मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में भाजपा लगातार मजबूत तो हो ही रही है, साथ ही राजनीतिक तौर पर इस इलाके की हैसियत भी बढ़ रही है. वहीं कांग्रेस में इस इलाके को वह अहमियत कम ही मिली है, जिसका यह हकदार है. यही कारण है कि कांग्रेस के सामने भाजपा से मुकाबला करना चुनौती बनता जा रहा है. वैसे तो बुंदेलखंड मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के सात-सात जिलों को मिलाकर बनता है. हम बात मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड की कर रहे हैं. इस क्षेत्र में सागर, दमोह, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी के अलावा दतिया जिला आता है.

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इस इलाके में कुल 29 विधानसभा क्षेत्र आते हैं जिनमें से 18 पर भाजपा का कब्जा है, वहीं आठ सीटें कांग्रेस के खाते में है. इसके अलावा सपा और बसपा की एक-एक सीट है. साथ ही एक सीट फिलहाल खाली है. वहीं इस क्षेत्र में पांच लोकसभा संसदीय क्षेत्र आते हैं इनमें दमोह, सागर, खजुराहो, टीकमगढ़ और भिंड (दतिया जिले के विधानसभा क्षेत्र) शामिल हैं. इन सभी पांचों सीटों पर भाजपा का कब्जा है.

सियासी तौर पर भाजपा में यह इलाका समय के साथ लगातार मजबूत होता गया है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा खजुराहो से सांसद हैं तो वही केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल दमोह का प्रतिनिधित्व करते हैं. संगठन में जतारा के विधायक हरिशंकर खटीक को महामंत्री पद की जिम्मेदारी दी गई है. वहीं शिवराज सिंह चौहान सरकार में इस क्षेत्र के पांच कैबिनेट मंत्री हैं इनमें सागर जिले से भूपेंद्र सिंह, गोपाल भार्गव और गोविंद सिंह राजपूत हैं तो वहीं पन्ना से बृजेंद्र प्रताप सिंह और दतिया से डॉ. नरोत्तम मिश्रा हैं. इसके अलावा बड़ा मलेहरा से विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी को राज्य आपूर्ति निगम का अध्यक्ष बनाते हुए कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है.

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वहीं दूसरी और हम कांग्रेस पर नजर दौड़ाते हैं तो एक बात साफ हो जाती है कि कमल नाथ सरकार में इस क्षेत्र के तीन ही मंत्री हुआ करते थे. इसके अलावा संगठन में अरसे से इस इलाके को कभी अहमियत नहीं मिली है. सिर्फ पूर्व सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी को जरूर पार्टी ने राष्ट्रीय स्तर पर महत्व दिया, मगर अब वे भी पार्टी से दूर हैं. कांग्रेस सरकारों में मंत्रियों के तौर पर बिट्ठल भाई पटेल, दशरथ जैन, केदार नाथ रावत, बाबूराम चतुर्वेदी, सत्यव्रत चतुर्वेदी, यादवेंद्र सिंह, मानवेंद्र सिंह, मुकेश नायक, राजा पटेरिया के ही नाम सामने आते हैं.

कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ द्वारा प्रदेश अध्यक्ष अथवा नेता प्रतिपक्ष दो पदों में से एक पद छोड़ने की चर्चा जोरों पर है. यही कारण है कि बुंदेलखंड इलाके से यह मांग उठती रही है कि नेता प्रतिपक्ष इस क्षेत्र को दिया जाए. इसके लिए पूर्व मंत्री और पृथ्वीपुर से विधायक बृजेंद्र सिंह राठौर का नाम भी सामने लाया जा रहा है. राठौर की दावेदारी के कारण भी हैं. वे लगातार निर्वाचित होते जा रहे हैं, वहीं उनका कांग्रेस के सभी गुटों से बेहतर समन्वय भी है और उनकी पहचान मिलनसार व गंभीर नेता के तौर पर पार्टी के भीतर की है.

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राजनीतिक विश्लेषक अनुराग पटेरिया का मानना है कि 80 के दशक के बाद भाजपा ने इस इलाके को अहमतियत देना शुरु किया, यही कारण है कि उसका लगातार विस्तार होता गया. कांग्रेस ने कभी भी इस क्षेत्र से न तो नेता प्रतिपक्ष, न ही मुख्यमंत्री और न ही प्रदेशाध्यक्ष दिया है. वहीं भाजपा ने मुख्यंमत्री दिया, विधानसभाध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष दिया और वर्तमान में प्रदेशाध्यक्ष भी इसी इलाके से आते हैं. वास्तव में दोनों दलों की कार्यशैली में अंतर रहा है. कांग्रेस ने बुंदेलखंड को महत्व नहीं दिया, वहीं भाजपा लगातार इस इलाके को अन्य क्षेत्रों की तरह महत्व दे रही है, यही कारण है कि भाजपा का जनाधार बढ़ रहा है.