पूर्व सीएम कमल नाथ की लिफ्ट गिरी, बाल-बाल बचे
कमलनाथ सहित सभी नेता सुरक्षित है, लेकिन यह सुरक्षा में बड़ी चूक व लापरवाही है. इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई होना चाहिए,अस्पताल प्रबंधन पर भी इस मामले में कड़ी कार्रवाई होना चाहिए.
highlights
- पूर्व सीएम कमल नाथ के साथ हादसा.
- पूर्व सीएम की लिफ्ट गिरी, बाल-बाल बचे.
- अस्पताल का अभी हाल ही में निर्माण हुआ है.
इंदौर:
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ रविवार को इंदौर में बाल-बाल बच गए. वे जिस लिफ्ट में थे वह गिर गई. कमल नाथ इंदौर के डीएनएस अस्पताल में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामेश्वर पटेल का हाल जानने गए थे. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने बताया, "पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के इंदौर के डीएनएस अस्पताल में वरिष्ठ कांग्रेस नेता रामेश्वर पटेल को देखने जाते के समय लिफ्ट के गिर गई. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जी व उनके साथ कांग्रेस के अन्य नेता लिफ्ट में ऊपर जाने के लिए सवार हुए , तभी लिफ्ट अचानक धड़ाम से 10 फीट नीचे गिर पड़ी और लिफ्ट में धूल और धुएं का गुबार भरा गया . लिफ्ट के दरवाजे लॉक हो गए और करीब 10 से 15 मिनट बाद बमुश्किल औजार ढूंढ कर लिफ्ट का लॉक खोला गया."
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सलूजा के अनुसार इस अस्पताल का अभी हाल ही में निर्माण हुआ है. कमलनाथ सहित सभी नेता सुरक्षित है, लेकिन यह सुरक्षा में बड़ी चूक और लापरवाही है. इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई होना चाहिए,अस्पताल प्रबंधन पर भी इस मामले में कड़ी कार्रवाई होना चाहिए.
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बताया गया है कि कमलनाथ के साथ इस हादसे के दौरान लिफ्ट में पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा, पूर्व मंत्री जीतू पटवारी, विधायक विशाल पटेल, शहर कांग्रेस अध्यक्ष विनय बाकलीवाल और उनके सुरक्षा कर्मी सवार थे. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने ट्वीट कर कहा, "हनुमान जी की कृपा सदा से रही है..जय हनुमान."
बता दें कि रविवार को मध्य प्रदेश की कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष कमल नाथ ने कार्यकर्ताओं से आम मतदाता के मन की बात जानने पर जोर देते हुए कहा कि चुनाव, न्यूज देखने वाले नहीं, बल्कि सीरियल देखने वाले जिताते हैं. कांग्रेस के इंदौर में आयोजित संभागीय सम्मेलन में कमल नाथ ने कार्यकर्ताओं को संगठन को मजबूत बनाने का संदेश दिया.
उन्होंने कहा, लगभग साढे चार दशक पहले भाजपा के पास बूथ पर बैठने वाला कार्यकर्ता नही हुआ करता था, मगर जब से पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव होना शुरु हुए, उनका संगठन खड़ा होने लगा क्योंकि जो जीतता था, वह कांग्रेस का और जो चार-पांच निर्दलीय हारते गए, वह भाजपा में शामिल होते गए.
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