मध्य प्रेदश के इंदौर के गौतमपुरा में बरसेंगे आग के गोले

मध्य प्रदेश की व्यावसायिक नगरी इंदौर के गौतमपुरा में सोमवार शाम को आग के गोले बरसेंगे. यहां प्रेम का इजहार करने के लिए दो पक्ष एक-दूसरे पर हिंगोट बरसाएंगे, जिसके चलते यहां का मैदान युद्ध का नजारा पेश करेगा.

मध्य प्रदेश की व्यावसायिक नगरी इंदौर के गौतमपुरा में सोमवार शाम को आग के गोले बरसेंगे. यहां प्रेम का इजहार करने के लिए दो पक्ष एक-दूसरे पर हिंगोट बरसाएंगे, जिसके चलते यहां का मैदान युद्ध का नजारा पेश करेगा.

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Yogendra Mishra
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मध्य प्रेदश के इंदौर के गौतमपुरा में बरसेंगे आग के गोले

प्रतीकात्मक फोटो।( Photo Credit : फाइल फोटो)

मध्य प्रदेश की व्यावसायिक नगरी इंदौर के गौतमपुरा में सोमवार शाम को आग के गोले बरसेंगे. यहां प्रेम का इजहार करने के लिए दो पक्ष एक-दूसरे पर हिंगोट बरसाएंगे, जिसके चलते यहां का मैदान युद्ध का नजारा पेश करेगा. यही कारण है कि इस प्रेम प्रदर्शन के त्योहार को 'हिंगोट युद्ध' के तौर पर जाना जाता है. इस आयोजन के दौरान हादसे को रोकने के लिए प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए हैं.

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दीपावली के अगले दिन और भाईदूज की पूर्व संध्या पर प्रेम का प्रदर्शन करने के लिए दो पक्ष जमा होकर एक-दूसरे पर हिंगोट से हमले करते हैं. यह परंपरा कई वषरें से चली आ रही है और वह आज भी जारी है.

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हिंगोट को एक फल को खोखला करके तैयार किया जाता है. यहां के लोग लगभग एक माह पहले से कंटीली झाड़ियों में लगने वाले हिंगोट नामक फलों को जमा करते हैं, उसके अंदर के गूदे को अलग कर दिया जाता है, सिर्फ बाहरी आवरण जो कठोर होता है नारियल की तरह, उसे धूप में सुखाने के बाद उसके भीतर बारूद, कंकड़-पत्थर भरा जाता है.

बताते हैं कि बारूद भरे जाने के बाद यह हिंगोट बम का रूप ले लेता है. उसके एक सिरे पर लकड़ी बांधी जाती है, जिससे वह राकेट की तरह आगे जा सके. एक तरफ आग लगाने पर हिंगोट राकेट की तरह घूमता हुआ दूसरे दल की ओर बढ़ता है, दोनों ओर से चलने वाले हिंगोट के चलते गौतमपुरा का भगवान देवनारायण के मंदिर का मैदान जलते हुए गोलों की बारिश के मैदान में बदल जाता है.

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इस उत्सव में दो गांव गौतमपुरा और रुणजी के दल हिस्सा लेते हैं. सूर्यास्त काल में मंदिर में दर्शन के बाद हिंगोट युद्ध की शुरुआत होती है. गौतमपुरा के योद्घाओं के दल को 'तुर्रा' नाम दिया जाता है, जबकि रुणजी गांव के दल को 'कलंगी' दल के तौर पर पहचाना जाता है.

आखिर हिंगोट युद्ध की शुरुआत कैसे, क्यों और कब हुई, इसका कहीं भी उल्लेख नहीं मिला है. किंवदंती है कि रियासतकाल में गौतमपुरा क्षेत्र की सीमाओं की रक्षा के लिए तैनात जवान दूसरे आक्रमणकारियों पर हिंगोट से हमले करते थे. स्थानीय लोगों के अनुसार, हिंगोट युद्ध एक किस्म के अभ्यास के रूप में शुरू हुआ था और उसके बाद धार्मिक मान्यताएं जुड़ती चली गईं.

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देपालपुर क्षेत्र के अनुविभागीय अधिकारी, पुलिस (एसडीओ,पी) रामकुमार राय ने आईएएनएस को बताया, "पुलिस और प्रशासन ने हिंगोट युद्ध में किसी तरह का हादसा न हो इसके पुख्ता इंतजाम किए हैं. मैदान के चारों ओर जाली लगाई गई है, जिससे हिंगोट बाहर नहीं आ सकता, इससे दर्शकों के घायल होने की आशंका बहुत कम है. दूसरी ओर बीते साल से दोगुना पुलिस बल की तैनाती की गई है, साथ ही युद्ध में हिस्सा लेने वालों को परामर्श दिया गया है कि वे हेलमेट लगाकर आएं."

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इंदौर मुख्यालय से लगभग 55 किलोमीटर दूर बसे गौतमपुरा में इस आयोजन को लेकर खासा उत्साह है और हजारों की संख्या में लोग हिंगोट युद्ध देखने पहुंच रहे हैं. एक तरफ जहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य कर्मचारियों की तैनाती की गई है, ताकि इस युद्घ के दौरान घायल होने वालों को जल्दी उपचार मिल सके.

Source : आईएएनएस

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