...तो क्या सिर्फ 7 हज़ार परिवारों को ही मिलेंगे 1 लाख रुपये?
मार्च 2021 से लेकर अप्रेल माह तक भोपाल के भदभदा विश्राम घाट से लेकर सुभाष नगर विश्राम घाट तक रोज़ाना ही सैकड़ों अंतिम संस्कार हुए.
highlights
- मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का ऐलान जिनकी भी मौत कोरोना से हुई है उनके परिजनों को एक लाख रु
- मध्य प्रदेश में मार्च 2020 से 20 मई 2021 तक पुरे मध्य प्रदेश में 7312 लोगो कि मौत हुई है
मध्य प्रदेश:
मध्य प्रदेश में कोरोना से हज़ारों लोगों कि मौत हो चुकी है. रोज़ाना ही सैकड़ों लोग दम तोड़ रहें है. इसी बीच मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया है कि जिनकी भी मौत कोरोना से हुई है उनके परिजनों को एक लाख रु कि अनुग्रह राशि दी जाएगी. इस बयान के बाद हर किसी को लग रहा है कि ये तो बहुत अच्छा फैसला है . सराहनीय है. बेशक अच्छा फैसला है. मगर अब तकनीकी रूप से इसे समझिये. मध्य प्रदेश में मार्च 2020 से 20 मई 2021 तक पुरे मध्य प्रदेश में 7312 लोगो कि मौत हुई है, यानि इस योजना के तहत महज़ 7 हज़ार परिवारों को ही एक लाख रु दिए जायेंगे. मैं खुद एक वर्ष से ग्राउंड जीरो से कोरोना को लेकर रिपोर्ट कर रहा हूँ . बात अगर सिर्फ भोपाल कि ही करूँ तो कई बार मैंने एक साथ रोज़ाना ही 40 से 50 कोरोना मरीज़ों कि चिताएं जलते हुए देखी है. रिपोर्ट भी किया है . मार्च 2021 से लेकर अप्रेल माह तक भोपाल के भदभदा विश्राम घाट से लेकर सुभाष नगर विश्राम घाट तक रोज़ाना ही सैकड़ों अंतिम संस्कार हुए. तो क्या ये चिताएं झूठी है ? क्या शमशान घाट से लेकर कब्रिस्तान तक के आंकड़े झूठे है? नहीं, ये आंकड़े बिलकुल झूठे नहीं है.
चलिए आपको एक बार फिर से तकनीकी रूप से समझाते है कि कैसे ये आंकड़े झूठे नहीं है मगर कोरोना से हो रही मौतों में शामिल नहीं है .कैसे मध्य प्रदेश में सरकारी आंकड़े में रोज़ाना कुछ ही मौतें हो रही है. इसके पीछे कि कहानी समझिये. कोई व्यक्ति कोरोना से संक्रमित हुआ. किसी अस्पताल में दाखिल हुआ. लगातार इलाज चलता रहा. 8 दिनों तक लगातार इलाज चलने के दौरान उसकी कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आ गई. 9 वे दिन उस मरीज़ कि मौत हो गई .मगर तकनिकी रूप से उसकी मौत कोविड से नहीं हुई. उसकी मौत तो हार्ट अटैक से हुई या किसी अन्य बीमारी से. कोरोना रिपोर्ट तो नेगेटिव थी. यानि सरकारी आंकड़े में उस शख्स कि मौत कोरोना से नहीं हुई है. भले ही मौत कोरोना से नहीं हुई हो मगर अंतिम संस्कार तो कोविड प्रोटोकॉल के तहत ही किया जायेगा. अब आप समझ गए होंगे कि कैसे ये विश्राम घाटों के मौत के आंकड़े सच है
सरकारी आंकड़े भी. कोई भी योजना का सरकारी आंकड़ों के आधार पर बनाई जाती है या यूँ कहे कि उसका लाभ उन्ही लोगो को मिलता है जो सरकारी आंकड़े में है. अब यहाँ तो मरने से पहले रिपोर्ट नेगेटिव आ चुकी थी. कुल मिलाकर सरकार को ये आंकड़ों कि बाज़ीगरी बंद करना चाहिए और जिन लोगों कि कोरोना से मौत हुई है उनके परिवारों को आर्थिक सहायता देनी चाहिए. ये अच्छी बात है कि सरकार ने उन परिजनों के बारे में सोचा मगर इसे आंकड़ों में मत उलझाइए. क्यों कि अब अस्पतालों में लम्बी कतारें लगने वाली है .लोग डेथ सर्टिफिकेट कि मांग करेंगे जिसमे लिखा हो कि मरीज़ कि मौत कोरोना से हुई है. लेकिन मरने से पहले तो रिपोर्ट नेगेटिव हो गई थी ऐसे में डॉक्टर ये कभी नहीं लिखेंगे कि मरीज़ कि मौत कोरोना से हुई.
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